सरकार ने संशोधित टीसीएस रेट्स के लागू होने की तारीख को 3 महीने आगे बढ़ा दिया है। ये अब 1 अक्टूबर से लागू होंगी। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को एक नोटिफिकेशन जारी किया है। इस नोटिफिकेशन में कहा गया कि बढ़ी हुई टीसीएस दरें (TCS Rates) इस साल एक अक्टूबर से प्रभावी होंगी। पुराने नोटिफिकेशन में यह तारीख 1 जुलाई बताई गई थी। इस तरह सरकार ने इस संशोधन के लागू होने की तारीख को 3 महीने आगे बढ़ा दिया है।

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क्रेडिट कार्ड से खरीदारी के नियमों में सरकार ने दी खास रियायत, नहीं कटेगा TCS 4

क्रेडिट कार्ड पेमेंट एलआरएस में नहीं आएगा

मार्च में यह घोषणा की गई थी कि क्रेडिट कार्ड पेमेंट भी एलआरएस के तहत लाया जाएगा। इसके बाद कई टिप्पणियां एवं सुझाव आए, जिन पर वित्त मंत्रालय ने ध्यान दिया है। वित्त मंत्रालय ने इन्हें देखते हुए कुछ बदलाव किये हैं। सरकार ने बताया कि विदेशों में इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड्स से लेनदेन अब एलआरएस के दायरे में नहीं आएगा। इसका अर्थ है कि अब इस खर्च पर टीसीएस लागू नहीं होगा। अब एक अक्टूबर 2023 से विदेशों में क्रेडिट कार्ड के खर्च पर कोई टीसीएस नहीं लगेगा।

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इन खचों पर बढ़ेगी दर

सरकार ने वित्त अधिनियम 2023 में अन्य उद्देश्यों के लिए लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) में 7 लाख रुपये से ऊपर टीसीएस की दर बढ़ाई थी। वहीं, सालाना 7 लाख रुपये से कम की राशि पर LRS के तहत सभी उद्देश्यों के लिए टीसीएस की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया। नई टीसीएस दरों को लागू करने के लिए भी सरकार ने अधिक समय दिया है। बढ़ी। हुई टीसीएस दरें 1 अक्टूबर, 2023 से लागू होंगी। इस साल के बजट में एलआरएस और फॉरेन टुअर प्रोग्राम पैकेजेज के तहत भुगतान पर टीसीएस के सिस्टम में कई बदलावों की घोषणा की गई थी।

बैंकों का एनपीए 10 साल के न्यूनतम स्तर पर बैंक और कंपनियों के बही-खाते मजबूत हुए हैं

Expand Now नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ने बुधवार को कहा कि देश के बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) यानी फंसा हुआ कर्ज मार्च में 10 साल के निचले स्तर 3.9 प्रतिशत पर आ गया। आरबीआई ने कहा कि सकल एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) और सुधरकर 3.6 प्रतिशत पर आने का अनुमान है। गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) ने आरबीआई की इस रिपोर्ट की भूमिका में लिखा है कि बैंक और कंपनियों के बही-खाते मजबूत हुए हैं। इससे कुल मिलाकर ग्रोथ को गति मिलने की उम्मीद है क्योंकि बही-खातों के मजबूत होने का दोहरा लाभ है। एक तरफ जहां कंपनियों का कर्ज कम होगा, वहीं बैंकों का एनपीए भी नीचे आएगा। उन्होंने साइबर जोखिम और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और नियामकीय व्यवस्था पर ध्यान देने की भी बात कही।

शक्तिकांत दास का मानना है कि वित्तीय स्थिरता महत्वपूर्ण है और सभी संबद्ध पक्षों को इसे सुरक्षित रखने के लिए मिलकर काम करना होगा। उन्होंने विदेशों में कुछ बैंकों के विफल होने के बीच सतर्क रहने की जरूरत बताते हुए कहा कि फाइनेंशियल सेक्टर के रेगुलर, बैंकिंग सेक्टर पर पैनी नजर रखे हुए हैं। बीते दशक के दूसरे हिस्से में बैंकिंग प्रणाली के भीतर एनपीए का बोझ काफी बढ़ गया था। हालात पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा शुरू करने के साथ ही बैंकों के लिए फंसी हुई संपत्तियों को अंकित करना अनिवार्य बना दिया था।

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सरकारी बैंकों का मुनाफा बढ़ा

इस कवायद का असर बुधवार को जारी स्थिरता रिपोर्ट में भी नजर आया। बैंकों का शुद्ध एनपीए मार्च के अंत में एक प्रतिशत हो गया। इसके पहले जुलाई, 2011 में यह स्तर रहा था। खुदरा कर्ज पर बैंकों का ध्यान बढ़ने से कॉरपोरेट कर्ज की हिस्सेदारी मार्च 2023 में गिरकर 46.4 प्रतिशत हो गई, जबकि मार्च 2020 में यह 51.1 प्रतिशत पर थी। इसके अलावा कुल सकल एनपीए में बड़े कर्जों की हिस्सेदारी भी तीन साल पहले के 75.7 प्रतिशत से घटकर मार्च 2023 में 53.9 प्रतिशत हो गई। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का मुनाफा निजी क्षेत्र के बैंकों की तुलना में तेजी से बढ़ा है।

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