सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए प्रोविडेंट फंड (PF) अकाउंट पर 8.15% ब्याज को मंजूरी दे दी है। एम्प्लॉइज प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) ने मार्च में ब्याज दरें 0.05% बढ़ाने की सिफारिश की थी। यानी अगर आपके 1 लाख रुपए जमा है तो इस पर साल में 8,150 रुपए का ब्याज मिलेगा। EPFO ने 24 जुलाई (सोमवार) को इसका ऑर्डर जारी किया।

देश के 6 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी PF के दायरे में आते हैं। EPFO एक्ट के तहत कर्मचारी की बेसिक सैलरी प्लस DA का 12% PF अकाउंट में जाता है। कंपनी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी प्लस DA का 12% कॉन्ट्रीब्यूट करती है। कंपनी के 12% कॉन्ट्रीब्यूशन में से 3.67% PF अकाउंट में जाता है और बाकी 8.33% पेंशन स्कीम में जाता है।
1952 में 3% ब्याज से शुरुआत हुई थी
1952 में PF पर ब्याज दर केवल 3% थी। हालांकि, इसके बाद इसमें बढ़ोतरी होती गई। पहली बार 1972 में यह 6% के ऊपर पहुंची। 1984 में यह पहली बार 10% के ऊपर पहुंची। PF धारकों के लिए सबसे अच्छा समय 1989 से 1999 तक था। इस दौरान PF पर 12% ब्याज मिलता था। इसके बाद ब्याज दर में गिरावट आनी शुरू हो गई। 1999 के बाद ब्याज दर कभी भी 10% के करीब नहीं पहुंची। 2001 के बाद से यह 9.50% के नीचे ही रही है। पिछले सात सालों से यह 8.5% या उससे कम रही है।

1952-53 में अब तक PF की ब्याज दरें
साल | व्याज दर |
1952-1966 | 3-4.75 % |
1966-1975 | 5-7 % |
1976-1983 | 7.50-8.75 % |
1984-1989 | 9.25-11.80 % |
1990-1999 | 12 % |
2000-2001 | 11 % |
2002-2005 | 9.50 % |
2006-2010 | 8.50-9.50 % |
2011-2021 | 8.25-8.50 % |
2021-2022 | 8.10 % |
2022-2023 | 8.15 % |
यहां समझें PF पर अब कितना ज्यादा मिलेगा व्याज
मान लीजिए आपके PF अकाउंट में 31 मार्च 2023 तक कुल 5 लाख रुपए जमा हैं। ऐसे में अगर 8.10% की दर से ब्याज मिलता तो 5 लाख पर 40,500 रुपए ब्याज के रूप में मिलते। लेकिन अब ब्याज दर को बढ़ाकर 8.15% करने के बाद आपको 40,750 रुपए मिलेंगे।
यहां देखें कितने जमा पर कितना पैसा मिलेगा
PF अमाउंट में बैलेंस | 8.10% के हिसाब से ब्याज | 8.15% के हिसा से ब्याज |
1 लाख | 8,100 रूपए | 8,150 रूपए |
3 लाख | 24,300 रूपए | 24,450 रूपए |
5 लाख | 40,500 रूपए | 40,750 रूपए |
नोट: ये कैलकुलेशन एक मोटे तौर पर किया गया है
फाइनेंशियल ईयर के आखिर में तय होती है ब्याज दर
PF में ब्याज दर के फैसले के लिए सबसे पहले फाइनेंस इन्वेस्टमेंट एंड ऑडिट कमेटी की बैठक होती है। यह इस फाइनेंशियल ईयर में जमा हुए पैसों के बारे में हिसाब देती है। इसके बाद CBT की बैठक होती है। CBT के निर्णय के बाद वित्त मंत्रालय सहमति के बाद ब्याज दर लागू किया जाता है। ब्याज दर का निर्णय फाइनेंशियल ईयर के आखिर में होता है।
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