सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन (CBI) ने शनिवार को ICICI बैंक और वीडियोकॉन लोन फ्रॉड केस में कई बड़े खुलासे किए हैं। CBI ने चार्जशीट में बताया कि ICICI बैंक की ओर से वीडियोकॉन ग्रुप को सैंक्शन (स्वीकृत) 1033 करोड़ रुपए का क्रेडिट 2017 में NPA बन गया। इस लोन को वीडियोकॉन ने नहीं चुकाया था।

इस मामले में ICICI बैंक की तब की MD और CEO चंदा कोचर और अन्य लोगों ने वीडियोकॉन को अवैध तरीके से लोन देकर ICICI बैंक को 1033 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया है। लोन देने के लिए फर्जी कागजों का यूज किया गया था। इस लोन फ्रॉड केस में ICICI बैंक की पूर्व MD और CEO के साथ उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के फाउंडर वेणुगोपाल धूत सहित कई लोगों और 9 संस्थानों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी। 12 जुलाई को CBI की स्पेशल कोर्ट ने चार्जशीट को स्वीकार किया था। इस मामले में सभी आरोपी बीते बुधवार (2 अगस्त) को कोर्ट में पेश हुए थे।
CBI के आरोपों को बैंक ने फैक्चुअली गलत बताया
हालांकि, CBI के आरोपों को ICICI बैंक के लीगल हेड नीलांजन साहा ने गलत कहा है। उन्होंने कहा- ऐसा नहीं हैं कि वीडियोकॉन को गलत तरीकों से लोन देकर बैंक को नुकसान पहुंचाया गया। वीडियोकॉन को पूरी प्रोसेस के तहत लोनदिया गया था।
10 हजार पेज की चार्जशीट में चंदा कोचर पर आरोप
- ICICI बैंक की MD और CEO बनने के बाद चंदा कोचर ने वीडियोकॉन ग्रुप को छह ‘रुपी टर्म लोन’ (RTL) सैंक्शन किए थे।
- ₹1,875 करोड़ के ये सारे RTL क्रेडिट 1 मई 2009 और अक्टूबर 2011 के बीच चंदा कोचर की सुपरविजन में दिए गए थे। अगस्त 2009 में जिस कमेटी ने वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ( VIEL) को ₹300 करोड़ के RTL की मंजूरी दी थी, चंदा उसकी प्रेसिडेंट थीं।
- चंदा कोचर 2011 में वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (VIL) को ₹750 करोड़ के RTL की मंजूरी देने वाली टीम की मेंबर भी थीं।
- 2012 के बाद भी चंदा वीडियोकॉन ग्रुप को क्रेडिट देने वाली कई कमेटियों की सदस्य रहीं।
- ‘दीपक कोचर ने साजिश के तहत चंदा कोचर से ICICI से वीडियोकॉन को फायदा पहुंचाया। इस निवेश की आड़ में 64 करोड़ रुपए का अवैध लाभ लिया गया।
- 5 करोड़ के फ्लैट को 11 लाख में दिया-मुंबई के जिस फ्लैट में चंदा कोचर रह रही थीं, वह वीडियोकॉन ग्रुप की संपत्ति थी। जिसकी कुल वैल्यू 5.25 करोड़ रुपए थी। बाद में इस फ्लैट को चंदा की फैमिली से संबंधित ट्रस्ट को महज 11 लाख की मामूली कीमत में दे दिया गया था। चंदा के पति दीपक कोचर कोचर परिवार ट्रस्ट’ के मैनेजिंग ट्रस्टी थे।
- चार्जशीट में बताया गया है कि चंदा कोचर, उनके पति दीपक और अन्य ने वीडियोकॉन ग्रुप को गलत तरीके से लोन सैंक्शन कराने के लिए दिसंबर 2008 में ही प्लान बना लिया था।
लोन फ्रॉड को कैसे अंजाम दिया गया
इस मामले में 4 कंपनियां शामिल
दीपक कोचर की कंपनी पिनेकल एनजी,वेणुगोपाल धूत की कंपनी वीडियोकॉन, धूत की एक और कंपनी सुप्रीम एनजी,धृत और कोचर की बनती कंपनी नृपावर|
- 2008 में 50%-50% की हिस्सेदारी में वेणुगोपाल धूत और दीपक कोचर ने नूपावर नाम की कंपनी बनायीं
- 2009 में धूत ने नुपावर के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया और दीपक कोचर को पूरी कंपनी सोंप दी
- 2010 में कोचर की नुपावर की पैसो की जरुरत थी तो धुत की कंपनी कंपनी सुप्रीम एनर्जी से 64 करोड़ का लोन लिया।
- धुत ने बैंक से 300 करोड़ रुपए का लोन लिया था. जिसमे से नुपावर को ये 64 करोड़ रुपये दिए गए थे
- लोन की शर्त भी थी की इसके बदले नुपावर के शेयार्ष सुप्रीम एनर्जी को ट्रांसफर करने होंगे
- शेयर्स ट्रांसफर होने के कारण एक ही साल में वेणुगोपाल धूत के पास वापस पावर की कमान आ गयी
- 2001 में सुप्रीम एनर्जी नुपावर को महेश चंद्र पुगलिया को ट्रांसफर कर दिया
- 2012 में वीडियोकॉन को पैसों की जरूरत थी तो ICICI बैंक के 3250 करोड़ का लोन लिया गया।
- 2012 में वीडियोकॉन के 6 एकाउंट्स में मौजूदा बकाया को 1730 करोड़ रुपये रिफाइलिंग से किया।
- 2013 में पुगलिया ने नृपवर को दीपक कोचर की पिकल एनर्जी को केवल9 लाख में बेच दिया
2016 में शुरू हुई थी मामले की जांच
इस मामले की जांच 2016 में शुरू हुई थी जब दोनों फर्मों, वीडियोकॉन ग्रुप ग्रुप और ICICI बैंक में एक निवेशक अरविंद गुप्ता ने लोन अनियमितताओं के बारे में चिंता जताई थी। गुप्ता ने RBI और यहां तक कि प्रधानमंत्री को इस बारे में लिखा था, लेकिन उनकी शिकायत पर उस समय कोई ध्यान नहीं दिया गया। मार्च 2018 में एक अन्य व्हिसिल ब्लोअर ने शिकायत की।
24 जनवरी 2019 को FIR
टॉप मैनेजमेंट के खिलाफ की गई शिकायत के बाद कई एजेंसियों का ध्यान इस ओर गया। हालांकि, उसी महीने बैंक ने बयान जारी कर कहा कि उन्हें चंदा कोचर पर पूरा भरोसा है। वीडियोकॉन ग्रुप के लोन पास करने में चंदा की कथित भूमिका की जांच के बाद यह बयान दिया गया था। एजेंसियां अपनी जांच करती रहीं और बैंक पर बढ़ रहे प्रेशर के बाद उसने भी जांच शुरू की। इसके बाद CBI ने 24 जनवरी 2019 को FIR दर्ज की।
पिछले साल दिसंबर 2022 में हुई थी गिरफ्तारी
एजेंसी ने इस मामले में चंदा कोचर, दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत को पिछले साल दिसंबर 2022 में गिरफ्तार किया था। तीनों को 10 जनवरी 2023 तक 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया गया था। इसके बाद तीनों को रिहा कर दिया गया था।
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