जानिए आखिर क्यों देश में बढ़ रही है महिला अपराध, वजह चौकाने वाला

जानिए आखिर क्यों देश में बढ़ रही है महिला अपराध, वजह चौकाने वाला

महिलाओं पर होने वाले अपराध एक बहुत ही गंभीर समस्या है आधुनिक युग में यह समस्या बहुत ही बड़ी समस्या है महिलाओं पर पहले भी अपराध होते थे और अभी भी होते हैं पर विगत कुछ सालों में महिलाओं पर होने वाले अपराध की मात्रा बहुत अधिक बढ़ गई हैं और कुछ ऐसे अपराध हैं जो दिल दहला देने वाले हैं जैसे कि आमतौर पर देखा गया है महिलाये अधिकतर दुष्कर्म का शिकार होती हैं जो की बहुत ही दर्दनाक घटना है उदाहरण के तौर पर हम दिल्ली में घटित होने वाली निर्भया कांड की बात कर सकते हैं जिसमें बहुत ही दर्दनाक और भय वाह घटना घटित हुई थी अभी हम बात कर सकते हैं झारखंड में घटित हुई घटना जो कि 28 अगस्त 2022 को घटित हुई जिसमें 18 साल की मासूम की नृशंस हत्या कर दी गई यह घटना भारतीय महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक बहुत ही गंभीर चिंता का विषय बन चुका है,इसके पीछे रूढ़िवादी समाज को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है और पुरुष प्रधान वर्ग भी जिम्मेदार है

इस समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार द्वारा अपराधियों के मन में डर उत्पन्न करने के लिए और उनको सजा दिलाने के लिए कई कानून बनाए और और उन में कुछ सुधार किए लेकिन महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की घटनाओं में कुछ खास कमी देखने को नहीं मिली है।

महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि के कारण

पितृसत्ता अर्थात पुरुष वर्ग को सत्ता की प्राप्ति : विभिन्न सरकारी प्रयासों के बावजूद महिलाओं की स्थिति में कुछ खास सुधार नहीं हुआ है आज के दौर में भी पितृसत्ता मानसिकता लोगों के मन से नहीं गई है परिवारिक हिरासत या संपत्ति पुरुष वर्ग को ही प्राप्त होती है सरकारी प्रयासों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे सरकारी प्रयास के बावजूद स्त्रियों की स्थिति में सुधार इतने अधिक मात्रा पर नहीं हो पाया पितृसत्तात्मक मानसिकता को चुनौती देने वाली महिलाओं की बढ़ती आवाज के कारण घरेलू हिंसा जैसी समस्या बढ़ रहे हैं और ऑनर किलिंग जैसी घटनाएं घटित हो रही हैं।

सामाजिक सांस्कृतिक कारक : लिंग में भेदभाव आज भी जारी है महिला और पुरुषों में भेदभाव किया जाता है महिलाओं के लिए कुछ बातें कही जाती है कि उनको शादी अवश्य करनी चाहिए क्योंकि भारतीय समाज में अविवाहित, तलाकशुदा स्थिति एक कलंक माना जाता है और आज के दौर में और दहेज देने वाली प्रथा आज भी प्रचलित है।

कानून के प्रति डर का ना होना : महिलाओं की रक्षा करने और दोषियों को दंडित करने में कुछ कानून सफल नहीं रहे हैं कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित दिशा निर्देश कानून लागू है मगर इनका कड़ाई से पालन नहीं किया जाता है कानून में भी बहुत अधिक खामियां हैं उदाहरण के लिए कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत कानून कहता है कि एक वार्षिक रिपोर्ट होनी चाहिए जिससे कंपनियों द्वारा दाखिल किया जाना चाहिए लेकिन यह प्रक्रिया कोई गंभीर रूप से नहीं लेता है

परिवार द्वारा प्राप्त संस्कार : आमतौर पर देखा गया है कि बचपन से ही लड़कियों को या सिखाया जाता है की उसे पुरुषों का सम्मान करना चाहिए सार्वजनिक वातावरण में अधिक जोर से नहीं हंसना चाहिए और अधिकतर तौर पर ढके हुए कपड़े पहने चाहिए मगर यही बातें लड़कों को नहीं सिखाई जाती कि उन्हें महिलाओं का सम्मान करना चाहिए, लड़कियों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, उन पर अभद्र टिप्पणी नहीं करना चाहिए उन्हें वह बुरी तरीके से नहीं देखना चाहिए अन्यथा गलत तरीके से उन्हें नहीं छूना चाहिए किसी के साथ दुष्कर्म नहीं करना चाहिए तो परिवार द्वारा प्राप्त संस्कार भी बहुत हद तक एक कारण है लड़कों को बचाने के बजाय उन पर सख्त कार्यवाही करना चाहिए ताकि इस तरह के अपराध कम किए जा सके।

समाज के लिए कुछ सुझाव जिनसे महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोका जा सकता है

कार्यस्थल पर महिला उत्पीड़न के लिए रोकथाम – आज के आधुनिक दौर में पुरुष वर्ग के साथ-साथ महिलाएं भी कार्य करती हैं और ( प्राइवेट सेक्टर ) निजी संस्थानों के साथ-साथ सरकारी स्थलों पर भी महिलाएं कार्यरत हैं कुछ ऊंचे पदों पर भी महिलाएं कार्यरत है इन स्थलों पर पुरुष के साथ-साथ महिलाएं भी होती हैं और एक ही जगह पर इनके कार्य करने का स्थल होता है इन जगहों में साथ काम करने के दौरान महिलाओं पर होने वाले उत्पीड़न के लिए कानून बनाए गए हैं जिसका अगर कड़ाई से पालन किया जाए तो महिलाओं पर होने वाले अपराध को कम किया जा सकता है इसके लिए निजी संस्थानों द्वारा इस नियम या कानून का कड़ाई से पालन करना चाहिए और अपने संगठन को भी यह निर्देश देना चाहिए कि किसी भी महिला के साथ इस प्रकार का दुर्व्यवहार ना करें आपसी सहमति से काम किया जाए और एक दूसरे को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाए अगर यह भावना लोगों के मन में हो तो काम को करने के साथ-साथ करने के अलावा महिलाओं को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।

किशोरों के खिलाफ अपराधों के लिए कठोर दंड होना चाहिए : यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO) में संशोधन किया जाना चाहिए ताकि 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ बलात्कार के लिए मौत की सजा दी जा सके और इस कानून का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए ताकि इस प्रकार गलत काम करने वाले के मन में इतना डर हो जाये की वह चाह कर भी ऐसा गलत काम ना कर पाए।

जवाबदेही का सही निर्वहन के लिए पुलिस का पुनर्गठन : वैसे तो पुलिस को आम जनता की सुरक्षा के लिए जाना जाता है मगर देखा जाए तो पुलिस आजकल राजनीतिक दबाव में सही कार्य नहीं करती है या वह पक्षपात करती है या कमजोर वर्ग को दबाने की कोशिश करती है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पुलिस स्टेशन महिलाओं की शिकायत करने के लिए बहुत ही उचित स्थल है ताकि महिलाएं निश्चिंत होकर अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए पुलिस का सहारा ले सके और अपराधियों को दंडित करवा सके तो अपनी जवाबदेही का सही निर्वहन प्रत्येक पुलिसकर्मी को अवश्य करना चाहिए ताकि कानून का कड़ाई से पालन किया जा सके।


भारतीय नैतिकता को स्थापित करना : संसार में प्रत्येक व्यक्ति को सांसारिक ज्ञान के अलावा कुछ व्यवहारिक ज्ञान भी आवश्यक होने चाहिए नियम और कानून की जानकारी होने के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि प्रत्येक बच्चे में चरित्र का निर्माण होना चाहिए बच्चे के चरित्र का निर्माण उनके बाल्यावस्था से ही किया जा सकता है प्रारंभिक वर्षों में चरित्र निर्माण की जिम्मेदारी माता-पिता की होती है और उसके पश्चात यह जिम्मेदारी शिक्षकों की होती है बच्चों में सही चरित्र एक मिर्माण करके करके महिलाओं के प्रति सम्मानजनक भावना जागृत की जा सकती हैं ताकि वह महिलाओं का आदर सम्मान करें उन्हें बड़े होने पर बुरी नजर से ना देखें और महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन ना करें।

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