धनतेरस 2022 धनतेरस क्यों मनाया जाता हैं, धनतेरस कब है, जाने पूजा

क्यों मनाया जाता हैं धनतेरस कब है जाने पूजा 2022
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धनतेरस का हिंदू धर्म का एक खास त्यौहार है इस दिन सभी लोग नई चीज खरीद कर घर में लेकर आते हैं I इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और इसी दिन के द्वारा दीपावली की शुरुआत भी हो जाती है I इसके अलावा धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरी, धन के राजा कुबेर की पूजा भी करनी चाहिए ऐसा कहा जाता है कि धनतेरस के दिन भगवान कुबेर की पूजा करने से आपके धन में वृद्धि होती है I और भगवान धनत्वारि की पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता हैं। हिंदू धर्म में Dhanteras का विशेष महत्व है इस दिन सभी लोग अपने घर में भगवान कुबेर, धनवंतरी और माता लक्ष्मी की पूजा विधि विधान से करते हैं ताकि उनकी कृपा हमारे ऊपर बनी रहे इसके अलावा इस दिन सोने चांदी और बर्तन खरीदने की परंपरा है क्योंकि अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके घर में समृद्धि और शांति आएगी I धनतेरस को समृद्धि का त्यौहार भी कहा जाता है।

धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने की भी प्रथा है, जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चाँदी के बने बर्तन खरीदते हैं। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है। सन्तोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास सन्तोष है वह स्वस्थ है, सुखी है, और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं। उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी, गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं।

त्यौहार का नामधनतेरस
साल2022
कब मनाया जाएगा?23 अक्टूबर 2022 को
कहां मनाया जाएगा?पूरे भारतवर्ष में
कौन से धर्म के लोग मनाते हैं?हिंदू धर्म के
धनतेरस क्यों मनाया जाता है?मंत्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि हाथ में कलश लेकर प्रकट हुए थे इसी कारण से
धनतेरस पर किन-किन लोगों की पूजा की जाती है?धनतेरस पर माता लक्ष्मी, कुबेर, धनवंतरी भगवान की पूजा की जाती है .
धनतेरस पर क्या खरीदना शुभ है?बर्तन और आभूषण

धनतेरस कब हैं:

धनतेरस कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की 13 वीं तिथि को मनाया जाता है I इस त्यौहार के द्वारा ही दीपावली की शुरुआत मानी जाती है I इस दिन हम सभी लोग अपने घर में कोई भी नई चीज खरीद के लाते हैं और उसे माता लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करते हैं I लोगों का विश्वास है कि अगर आप इस दिन कोई नई चीज माता लक्ष्मी को अर्पित करते हैं तो आपके घर में माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी और धन में वृद्धि होगी I इसके अलावा धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा भी की जाती है I इनके बारे में कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन हुआ था I भगवान धन्वंतरी अपने साथ अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे I जिसके कारण ऐसी मान्यता है कि अगर आप इनके ऊपर सोना चांदी आभूषण अर्पित करेंगे तो आपके धन्य में कई गुना वृद्धि होगी I

धनतेरस का त्यौहार क्यों मनाया जाता हैं:

धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस प्रथा के पीछे एक लोककथा है।

  • कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा।
  • राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहाँ किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।
  • विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुँचे। जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा। परन्तु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा।
  • यमराज को जब यमदूत यह कह रहे थे, उसी समय उनमें से एक ने यम देवता से विनती की- हे यमराज! क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए। दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यम देवता बोले, हे दूत! अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है, इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं, सो सुनो।
  • कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीपमाला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।
  • धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं, इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
  • धनतेरस के सन्दर्भ में एक लोक कथा प्रचलित है कि एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियों को मृत्यु की गोद में सुलाते समय तुम्हारे मन में कभी दया का भाव नहीं आता क्या।
  • दूतों ने यमदेवता के भय से पहले तो कहा कि वह अपना कर्तव्य निभाते है और उनकी आज्ञा का पालन करते हें परन्तु जब यमदेवता ने दूतों के मन का भय दूर कर दिया तो उन्होंने कहा कि एक बार राजा हेमा के ब्रह्मचारी पुत्र का प्राण लेते समय उसकी नवविवाहिता पत्नी का विलाप सुनकर हमारा हृदय भी पसीज गया लेकिन विधि के विधान के अनुसार हम चाह कर भी कुछ न कर सके।
  • एक दूत ने बातों ही बातों में तब यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है क्या। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यम देवता ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आँगन में यम देवता के नाम पर दीप जलाकर रखते हैं। इस दिन लोग यम देवता के नाम पर व्रत भी रखते हैं।
  • धनतेरस के दिन दीप जलाकर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरि से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें।
  • चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें।
  • नया बर्तन खरीदें जिसमें दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं। कहा जाता है कि समुद्र मन्थन के दौरान भगवान धन्वन्तरि और मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था, यही वजह है कि धनतेरस को भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है । धनतेरस दिवाली के दो दिन पहले मनाया जाता है।

धनतेरस पूजा विधि:

  • धनतेरस के संध्या पर शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
  • सबसे पहले आप घी का दीपक भी जलाएंगे I इसके बाद आपको भगवान कुबेर और धन्वंतरी भगवान को सफेद और पीले मिठाई चढ़ाने चाहिए।
  • उसके बाद आप भगवान कुबेर संबंधित “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः मंत्र का उच्चारण करना चाहिए ताकि आपके ऊपर भगवान कुबेर की कृपा बनी रहे।
  • इसके बाद आपको भगवान धन्वंतरी संबंधित मंत्र धन्वन्तरि स्तोत्र” का उच्चारण करें I ऐसी मान्यता है कि अगर आप ऐसा करते हैं तो आप हमेशा स्वस्थ रहेंगे।
  • इसके बाद माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा शुरू की जाती है माता लक्ष्मी को घी का दीपक और मिठाइयां फूल अर्पित करेंगे।
  • इसके अलावा अगर आप इस दिन घर में भगवान यम के नाम पर अगर आप दीपक जलाएंगे और उस दीपक को लकड़ी के तख्ते पर रखकर रोली से स्वास्तिक का निशान बनाएंगे।
  • इसके बाद मिट्टी या आटे के चौमुखी दीपक उस पर रख देंगे दीपक पर तिलक लगाएंगे और उसके ऊपर फूल और चावल चढ़ाएंगे।
  • इसके बाद परिवार के सभी लोगों को तिलक लगाएंगे और फिर आप उस दीपक को घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की तरफ रख देंगे।
  • अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके घर में अगर कोई अकाल मृत्यु जैसा संकट टल जायेगा।

धनतेरस का महत्व:

हिन्दू धर्म में इस दिन की पूजा का एवं नई वस्तु खरीदने का बहुत अधिक महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस दिन नई वस्तु खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। इस दिन बर्तन खरीदने का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे तो उनके हाथ में कलश रूपी पात्र था।

भगवान धन्वंतरि को पीला रंग और ताँबा धातु पसंद है इसीलिए इस दिन ताँबा अथवा चांदी के बर्तन खरीदे जाने का भी महत्व है।

इस दिन यमराज को नमन कर उनके नाम से दीपक जलाने का भी महत्व हैं। माना जाता है ऐंसा करने से अकाल मृत्यु कभी घर में प्रवेश नहीं करती और घर के दीपक की लौ हमेशा प्रज्ज्वलित रहती है। इस दिन व्यापारी अपने गल्ले में कौंड़ी रखते हैं क्योंकि मान्यता है धनतेरस के दिन लक्ष्मी जी भी प्रकट हुई थी और उस समय उनके हाथों में कौंड़ी थी।

माना जाता है कि गल्ला में कौंड़ी रखने से व्यापार में कभी नुकसान नहीं होगा।

धनतेरस मनाने का उद्देश्य:

आयुर्वेद में में धन शब्द का अर्थ हैं हमारे स्वास्थ्य से हैं। लेकिन जिन्हें आयुर्वेद के बारे में सही जानकारी नही हैं। उनके सिध्दांतों के बारे में जानकारी नही हैं। वे धन को मुद्रा के रूप में लेते हैं। और धन को मुद्रा समझतें हैं।

इसलिए अपने अज्ञानता के कारण अर्थ का अनर्थ कर बैठते हैं। जिस स्थान पर हमे स्वास्थ्य से सम्बंधित धन के विषय में वृद्धि करनी चाहिए। और इसमें सुधार करनी चाहिए वहाँ पर आजकल लोग आर्थिक धन के वृद्धि करने के उपाय में लगे हुए हैं।

आयुर्वेद के अनुसार सोना चाँदी से बने बर्तनों में भोजन करने से स्वास्थ्य धन की वृद्धि होती हैं। लेकिन आजकल के लोगो इस बात को आर्थिक धन के वृद्धि होती हैं ऐसा समझ लिया हैं। और ऐसा ही समझ के आजकल लोग सोने चाँदी से बने गहनों और बर्तनों की खरीदारी करतें हैं।

धनतेरस कैसे मनाया जाता है:

धनतेरस के दिन लोग घरों के लिए नए बर्तन की खरीदी करते हैं। इस दिन कुछ बड़ा समान खरीदने का भी रिवाज है इसीलिए बहुत से लोग इस दिन सोने अथवा चांदी का सामान खरीदते हैं। वहीं बहुत से लोग गाड़ी अथवा कोई महँगे समान की खरीद करते हैं। दीपावली की पूजन सामग्री जैंसे दिए, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, झाड़ू, नारियल, कपड़े आदि की खरीद भी धनतेरस के दिन करना शुभ माना जाता है।

सायंकाल में इस दिन सभी घरों में इस दिन भगवान धन्वंतरि, कुबेर, यमराज, लक्ष्मी-गणेश का विधि विधान के साथ पूजन अर्चन करते हैं व सभी को मिठाई एवं फल-फूल का भोग लगाया जाता है।

सभी देवी देवताओं के नाम से दीपक जलाए जाते हैं। इस दिन घरों में धन व नई सामग्री की भी पूजा की जाती है। धनतेरस दीपावली की शुरुआत माना जाता है इसीलिए इस दिन बहुत से लोग पटाखे भी जलाते हैं।

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