हर कोई पेशेवर चाहता है कि वो अपनी कमाई में से बचाकर कुछ न कुछ ऐसा निवेश (Investment) करता रहे, जो उसके इन्वेस्टमेंट में इजाफा करता रहे. इस मामले में म्यूचुअल फंड्स ( Mutual Funds) के जरिए इक्विटी में निवेश सबसे लोकप्रिय तरीका बनकर उभरा है.. लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्ट करने वाले निवेशकों के लिए MF बाजार में कई ऐसे विकल्प हैं, जो शेयर मार्केट में अस्थिरता की चिंता को कम करने का काम करते हैं. सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP इन उतार-चढ़ावों से नेविगेट करने के लिए एक प्रभावी साधन मुहैया कराती है.

SIP के हैं कई फायदे
एसआईपी (SIP) आपको नियमित अंतराल पर एक तय राशि का निवेश करने की अनुमति देता है, जिससे आप लंबे समय में खरीदारी की लागत को औसत करके बाजार की अस्थिरता के प्रभाव को कम कर सकते हैं. एसआईपी में निवेश को लेकर जागरुकता अब तेजी से बढ़ी है और इसने अपने इन्वेस्टर्स को जबरदस्त रिटर्न देते हुए मालामाल किया है. एक उदाहरण के तौर पर समझें तो 20 साल पहले, अगर आपने इक्विटी फंड में हर महीने 10,000 रुपये का निवेश करना शुरू किया होता, तो आपका पोर्टफोलियो अनुमानित 12 फीसदी की दर से मिलने रिटर्न के चलते बढ़कर 92 लाख हो गया होता.
सही फंड कराएगा पैसों की बरसात
ऐसी कई म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) स्कीम्स हैं, जिन्होंने 15 फीसदी रिटर्न भी दिया है. यानी दूसरे शब्दों में कहें तो 10,000 रुपये प्रति माह का निवेश लॉन्ग टर्म में करोड़पति बनाने वाला साबित हुआ है. वैल्यू रिसर्च (Value Research) के मुताबिक स्कीमों में निवेश करने वाले इन्वेस्टर्स को महज बीते तीन साल में ही 44 से 65 फीसदी तक रिटर्न मिला है. हालांकि, आपका निवेश आपके लिए फायदेमंद साबित हो, इसके लिए कुछ जरूरी सावधानियां बरतना भी आवश्यक है.
Mutual Fund’s ने दिया 44-65% रिटर्न
- Quant Small Cap Fund-Direct Plan
- Quant Infrastructure Fund-Direct Plan
- Nippon India Small Cap Fund-Direct Plan
- Tata Small Cap Fund-Direct Plan
- Canara Robeco Small Cap Fund-Direct Plan
- Kotak Small Cap Fund-Direct Plan
- Bandhan Sterling Value Fund-Direct Plan
- Quant Tax Plan-Direct Plan
- ICICI Prudential Infra Fund-Direct Plan
- SBI Contra Fund-Direct Plan
MF में निवेश से पहले ये बातें रखें ध्यान
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में इन्वेस्टमेंट करना आसान जरूर लगता है, लेकिन सही फंड का चयन करना एक चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है. ऐसे में कुछ खास बातों का ध्यान रखना निवेश से पहले बेहद जरूरी है. इनमें सबसे अहम है कि एक लक्ष्य निर्धारित करें. इसके तहत खुद से पूछें कि आप बचत और निवेश क्यों करना चाहते हैं. अपने लक्ष्य को पाने के लिए समय अवधि को लेकर कोई कन्फ्यूजन कतई न रखें. उदाहरण के लिए, कार के डाउन पेमेंट के लिए बचत करना एक शॉर्ट टर्म टारगेट है, जबकि रिटायरमेंट या फिर बच्चे की शिक्षा के लिए बचत और निवेश करना लॉन्ग टर्म टारगेट है. मतलब ये कि अपने लक्ष्य की पहचान करें और उस हिसाब से निवेश के लिए कदम आगे बढ़ाएं.
इसके बाद म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने के लिए अपनी जोखिम क्षमता का आकलन करना भी बेहद जरूरी है. एक बार जब आप अपना टारगेट फिक्स कर लेते हैं, तो आपको अपनी जोखिम सहनशीलता का आकलन करने की जरूरत होती है. यदि आप अधिक जोखिम लेने में सहज महसूस करते हैं, तो Mid Cap और Small Cap फंडों में इन्वेस्टमेंट पर विचार कर सकते हैं. वहीं अगर आप कम जोखिम लेना चाहते हैं, तो फिर लार्ज कैप फंड में इन्वेस्ट कर सकते हैं. आप इक्विटी में निवेश करने में सहज नहीं है, तो डेट और बैलेंस्ड फंड का ऑप्शन भी चुन सकते हैं.

स्कीम्स की तुलना करना जरूरी
अब आप जिस कैटेगरी में इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं, उसे निर्धारित करने के बाद इस कैटेगरी की तमाम योजनाओं का मूल्यांकन करें और अपने लिए बेस्ट का चयन करें. अलग-अलग समय अवधि में फंड के प्रदर्शन की जांच करें और बेंचमार्क व समान श्रेणी के समान फंड के साथ इसकी तुलना करें. कई म्यूचुअल फंड वेबसाइटें योजनाओं की तुलना भी प्रदर्शित करती हैं. इन टिप्स के जरिए आप म्यूचुअल फंड का चयन करते समय सही फैसला ले सकते हैं और अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने की संभावना बढ़ा सकते हैं.
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