निवेश, खास तौर पर इक्विटी इन्वेस्टमेंट को लेकर अमूमन दो तरह की सलाह दी जाती है। भावनाओं में बहकर फैसले न करें और आंकड़ों का भरपूर इस्तेमाल करें। किसी भी आम इंसान के लिए लालच और डर जैसी भावनाओं से बचना मुमकिन नहीं है। फंड मैनेजरों के बारे में भी यही सच है क्वांट फंड इन मुश्किलों का हल है।

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3 साल में दिया 44% तक का रिटर्न क्वांट फंड में निवेश करके कमा सकते हैं मुनाफा 3

इन स्कीम्स में फंड मैनेजर की ज्यादा भूमिका नहीं

म्यूचुअल फंड की ये स्कीम्स निवेश के लिए शेयरों का फैसला कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के माध्यम से गणितीय आधार (एल्गोरिद्म) पर करती हैं। इनमें फंड मैनेजर की ज्यादा भूमिका नहीं होती। इस तरह पोर्टफोलियो के लिए निष्पक्ष तरीके से शेयर चुनने में मदद मिलती है। हाल के महीनों में मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की बढ़ती स्मार्टनेस को देखते हुए इस बात की संभावना बढ़ी है कि क्वांट फंड बेहतर प्रदर्शन करेंगे। हालांकि अब भी इनका प्रदर्शन कमजोर नहीं है। 3 साल में इनका रिटर्न 44% तक रहा है।

क्या होती है क्वांट फंड की निवेश रणनीति ?

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3 साल में दिया 44% तक का रिटर्न क्वांट फंड में निवेश करके कमा सकते हैं मुनाफा 4

क्वांटिटेटिव या क्वांट इन्वेस्टमेंट में बड़े पैमाने पर डेटा (जैसे वैल्युएशन, क्वालिटी, लिक्विडिटी, रिटर्न और कीमतों में बदलाव की रफ्तार) का विश्लेषण करने के लिए एल्गोरिद्म का इस्तेमाल किया जाता है। इस विश्लेषण के नतीजों के आधार पर शेयरों का चयन किया जाता है। मोटे तौर पर इसका मतलब ये है कि ट्रेड ऐतिहासिक डेटा पर आधारित होते हैं। यानी निवेश का फॉर्मूला लगभग तय होता है।

तीन वजहों से आप चुन सकते हैं क्वांट फंड, फायदे में रहेंगे

  • कम लागत: इनमें निवेश की लागत यानी एक्सपेंस रेश्यो सिर्फ 0.5% है। आम तौर पर ये अनुपात 1.25-2.50% तक होता है।
  • ज्यादा रिटर्न: क्वांट फंड्स ने तीन साल में 43.5% तक रिटर्न दिए हैं। यानी 1 लाख की पूंजी बढ़कर 1,43,500 रुपए हो गई।
  • क्लीन स्ट्रैट्जी: फंड मैनेजर न होने से फ्रंट रनिंग, इनसाइडर ट्रेडिंग जैसी गड़बड़ियां नहीं ।

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