गर्मागर्म कॉफी किसी के लिए सुबह का अलार्म होता है तो किसी के लिए नींद भगाने का ज़रिया। कोई इससे स्ट्रेस फ्री होता है तो किसी को काम करने की एनर्जी मिलती है। बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो कॉफी के बिना जी ही नहीं सकते। उन्हें अपने हर काम के साथ चाहिए एक कप कॉफी।
वैसे ये तो सच है कि कॉफी पीने से आप एकदम रिफ्रेश हो जाते हैं और ये आपको दिन भर से कामों से निपटने की ताकत देती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि कॉफी नुकसानदेह भी सकती है कॉफी पीने से महिलाओं में पीसीओएस का खतरा बढ़ सकता है कई स्टडीज में पता चला है कि पीसीओएस जैसी बीमारी से जूझ रही महिलाओं के लिए कॉफी नुकसानदेह साबित हो सकती है पीसीओएस में कॉफी पीने के नुकसान के बारे में जानने से पहले हम जान लेते हैं काफी पीने के फायदे।
काफी पीने के क्या क्या फायदे है-
बीमारियों से लड़ने में मदद करे
कॉफी में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो शरीर को फ्री रैडिकल्स से बचाते हैं और बीमारियों को दूर भगाते हैं। कई स्टडीज़ से पता चला है कि कॉफी में पॉलीफेनोल्स और हाइड्रोसिनेमिक एसिड जैसे कई एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो फ्री रैडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं और कैंसर, दिल की बीमारी, टाइप 2 डायबिटीज़ और अल्जाइमर जैसी बीमारियों को रोकते हैं। लेकिन कॉफी एक स्टिम्युलेंट है, इसलिए पीसीओएस के इलाज के वक्त इसे नहीं पीना चाहिए।
मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने में मदद करे
कॉफी में कैफीन होता है, जो मोटापे से जूझ रहे और सामान्य वजन वाले लोगों में भी मेटबॉलिक रेट (जिस दर पर शरीर हर दिन कैलोरी जलाता है) को बढ़ावा देता है। हालांकि, पीसीओएस का इलाज मेटाबॉलिक रेट से संबंधित नहीं है क्योंकि यह इंसुलिन रेजिस्टेंस से शुरू होता है।
डिप्रेशन कम करे
कई रिसर्च से पता चला है कि कॉफी में क्लोरोजेनिक एसिड, फेरुलिक एसिड और कैफिक एसिड जैसे कंपाउंड्स होते हैं, जो नर्वस सिस्टम की कोशिकाओं की सूजन को कम करते हैं और डिप्रेशन दूर करते हैं। यह पीएमएस या पीएमडीडी के रूप में डिप्रेशन से पीड़ित पीसीओएस वाली महिलाओं को फायदा पहुंचा सकता है।
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कॉफी पीने के क्या क्या नुकसान है –
तनाव हार्मोन में बढ़ोतरी
कॉफी में मौजूद कैफीन शरीर में कोर्टिसोल और एड्रेनालाइन हार्मोन (तनाव हार्मोन) का उत्पादन करने के लिए जाना जाता है, जिससे एड्रिनल ग्लैंड्स पर दबाव पड़ता है। तनाव हार्मोन के बढ़ने पर खून में ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा हो जाती है, जो इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण बन सकता है। पीसीओएस से जूझ रही महिलाएं हाई कोर्टिसोल लेवल के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हो सकती हैं और पीसीओएस महिलाओं में इंसुलिन लेवल को बढ़ा सकता है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण
इंसुलिन रेजिस्टेंस महिलाओं में कई पीसीओएस लक्षणों का कारण हो सकता है। कैफीन तनाव हार्मोन एपिनेफ्रीन (जिसे एड्रेनालाइन भी कहा जाता है) को बढ़ाता है। जब यह लगातार हाई लेवल पर होता है तो यह शरीर के उस फंक्शन को खराब कर देता है, जिससे आपका शरीर शुगर (ग्लूकोज) को प्रोसेस करता है। कैफीन एडेनोसिन के काम में भी रुकावट पैदा करता है, जो इंसुलिन उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है। इससे ब्लड शुगर लेवल ज्यादा हो सकता है। इससे नींद में भी खलल पड़ता है और नींद की कमी से इंसुलिन रेजिस्टेंस की संभावना बढ़ जाती है।
एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल बढ़ सकता है
कई स्टडीज़ से पता चला है कि रोज़ाना 2 कप कॉफी पीने से एशियाई महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन में बढ़ोतरी हुई और श्वेत महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन कम हुआ। इसके अलावा, कैफीन CYP1A2 नाम के एंजाइम द्वारा लिवर में टूट जाता है। ये एंजाइम लिवर में एस्ट्रोजन को भी तोड़ देता है। इसलिए, कैफीन की खपत एस्ट्रोजन के टूटने में दखल दे सकती है जिससे एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ सकता है जो भारी रक्तस्राव, कोमल स्तन, सूजन, गैस और कब्ज का कारण बनता है। एस्ट्रोजन का ज्यादा होना पीसीओएस में हार्मोनल असंतुलन में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
विटामिन्स और मिनरल्स का नुकसान
कॉफी में मौजूद कैफीन पेशाब में बढ़ोतरी का कारण बनता है, जिससे पानी में घुलनशील विटामिन, खासकर विटामिन बी 6 का नुकसान होता है, जो पीसीओएस में पीएमएस के लक्षणों से राहत देने में मदद करता है। इसके अलावा यह महिलाओं के लिए कैल्शियम, विटामिन डी, मैग्नीशियम और आयरन जैसे जरूरी पोषक तत्वों को भी कम करता है।
प्रजनन क्षमता कम होती है
स्टडीज़ से पता चला है कि कैफीन स्वस्थ महिलाओं में गर्भभारण में देरी कर सकता है। पीसीओएस से जूझ रही महिलाओं को पहले से ही ओव्यूलेशन की दिक्कत होती है और कैफीन इसे और खराब बना सकता है।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए पीसीओएस के इलाज के दौरान कॉफी से बचना ही सही तरीका है, लेकिन अगर आप कॉफी को छोड़ना नहीं चाहती हैं, तो एक दिन सिर्फ 1 कप कॉफी ही पिएं। इसके अलावा आप ग्रीन टी जैसे हेल्दी ऑप्शन्स पर भी गौर कर सकती हैं।
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