भूत,प्रेत क्या सच में होते है,इनकी सच्चाई आज के जमाने में क्या मायने रखती है?

भूत प्रेत की संभावना लोग श्मशान, पुराने पीपल के पेड़, जहां किसी की अकाल मृत्यु हुई हो ऐसे स्थानों को मानते है, मै 15 वर्ष मालगाड़ी का गार्ड रहा,मालगाड़ी में ब्रेकवान गाड़ी के पीछे का आखिरी डिब्बा होता है,जिसमें गार्ड की डयूटी रहती है। ऐसी हर जगह रात में मेरी गाड़ी खड़ी हुई परन्तु 15 वर्षों में एक भी अनुभव ऐसा नहीं हुआ जिसके आधार पर कह सकूं,की मैंने बहुत, प्रेत का अनुभव हुआ है, तो क्या सच में भूत होते हैं

हम बांदा मालगाड़ी लेकर जाते थे, उन दिनों अफवाह उड़ी की एक गेंगमेन गाड़ी से कट गया था, ये घटना ऐसी हुई जिसमें मै खुद डर गया था,उस समय में मै सतना में मालगाड़ी का गार्ड था,वह बांदा के पास के स्टेशन के पास के इलाके में कभी पुलिया के पास वह हाफ पेंट पहने,कभी मिलिट्री की शर्ट पहने दिखता है,और गार्ड को नमस्ते करता है।

एक दिन ठंड की एक शाम रात के लगभग 8 बजे डिग्वाही स्टेशन के लगभग एक किमी पहले, मिलिट्री की शर्ट पहने सैल्यूट की मुद्रा में मुझे नमस्ते किया, मैंने में लिया यह वही भूत है किस्मत से एक किमी आगे जाकर गाड़ी रुक गई,छोटा सा स्टेशन जिसमें किनारे दो केबिन और छोटा सा स्टेशन का कमरा था बाकी स्टेशन एकदम सूना पड़ा था।

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स्टेशन पर बिजली भी नहीं थी अब मै और डर गया कि भूत मेरे गार्ड ब्रेक में ना आ जाए, मैंने देखा कि पीछे की केबिन तो दूर थीं,स्टेशन मास्टर का कमरा लगभग 100 मी दूर था तुरंत मै स्टेशन मास्टर के कमरे में पहुंच गया और अपने डर को छिपाते हुए स्टेशन मास्टर को उस अफवाह के विषय में बताया तब स्टेशन मास्टर ने जानकारी दी कि वास्तव में एक पूर्व मिलिट्री बाला दिमागी हालत ठीक न होने के कारण यहां आसपास घूमता रहता है और गार्ड लोगो को चलती गाड़ी में सैल्यूट करता है सुनकर जान में जान आई।

यदि उस दिन डिगवाही में गाड़ी खड़ी न होती तो मै जीवन भर मानकर चलता कि मैंने भूत देखा है,और ऐसी सारी कहानियों पर विश्वास करने बाला इंसान बन जाता।

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