पित्ताशय की पथरी के लिए घरेलू उपचार

पित्ताशय की पथरी के लिए घरेलू उपचार

आज के आधुनिक युग में कई लोगों को कई सारी बीमारियां होती हैं इनमें से एक बीमारी है पित्ताशय की पथरी जो की बहुत ही दर्दनाक बीमारी है पित्ताशय की पथरी मतलब पित्त में छोटे छोटे पत्थर का हो जाना ,यह छोटे छोटे पत्थर पित्ताशय की थैली में बनते हैं हमारे शरीर में हर एक अंग महत्वपूर्ण हैं और उनका सुचारू रूप से काम करना भी जरूरी होता है अगर इनमे किसी प्रकार की बीमारी हो तो इससे हमारे शरीर को नुकसान पहुंचता है और हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

पित्त की पथरी लीवर के नीचे होती है इस बीमारी का शुरुआती समय पर इलाज किया जाए तो इसे निकालने के लिए ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं होती अगर इस बीमारी में शुरुआती लक्षण में ध्यान नहीं दिया जाता है तो इसके इलाज के लिए ऑपरेशन की आवश्यकता हो सकती हैं तो यह बीमारी कैसे होती हैं इसे समझने के लिए हम आपको बता रहे हैं पित्ताशय में जब कोलेस्ट्रोल जमने लगता है तो यह ठोस रूप ले लेता है इससे हमें पथरी की शिकायत हो जाती है इस रोग के होने से खाना के पाचन में दिक्कत होने लगती है और साथ ही आसानी दर्द का सामना करना पड़ता है।

लीवर और गॉल ब्लैडर के बीच बाइल डक्ट नामक एक छोटी-सी नली होती है, जिसके माध्यम से यह पित्त को गॉलब्लैडर तक पहुंचाता है। जब व्यक्ति के शरीर में भोजन जाता है तो यह ब्लैडर पित्त को पिचकारी की तरह खींच कर उसे छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में भेज देता है, जिसे डुओडेनियम कहा जाता है। इससे पाचन क्रिया की शुरुआत हो जाती है।

क्या होते हैं पित्ताशय की पथरी – इसे समझने के लिए हम आपको बता रहे हैं पित्ताशय में जब कोलेस्ट्रोल जमने लगता है तो यह ठोस रूप ले लेता है इससे हमें पथरी की शिकायत हो जाती है इस रोग के होने से खाना के पाचन में दिक्कत होने लगती है और साथ ही असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है।

गॉलब्लैडर में तरल पदार्थ की मात्रा सूखने लगती है तो उसमें मौजूद चीनी-नमक और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएट तत्व एक साथ जमा होकर छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों जैसा रूप धारण कर लेते हैं, जिन्हें गॉलस्टोन्स कहा जाता है।कभी-कभी पित्ताशय में बिलीरुबिन और कोलेस्ट्रोल का जमाव हो जाता है पथरी लगभग 80% तक कोलेस्ट्रोल की बनी होती है ,कोलेस्ट्रॉल पित्ताशय के अंदर पत्थर का रूप ले लेती है कोलेस्ट्रोल स्टोन का रंग पीले हरे होते हैं।

जब ब्लैडर में ब्लैक या ब्राउन कलर के स्टोन्स नजर आते हैं तो उन्हें पिगमेंट स्टोन्स कहा जाता है। कई बार गॉल ब्लैडर में अनकॉन्जुगेटेड बिलिरुबिन नामक तत्व का संग्रह होने लगता है तो इससे पिगमेंट स्टोन्स की समस्या होती है।

गॉलब्लैडर में गड़बड़ी की वजह से कई बार पित्त बाइल डक्ट में जमा होने लगता है, इससे लोगों को जॉन्डिस भी हो सकता है। अगर आंतों में जाने के बजाय बाइल पैनक्रियाज़ में चला जाए तो इससे क्रॉनिक पैनक्रिएटाइटिस नामक गंभीर समस्या हो सकती है। अगर सही समय पर इलाज न कराया जाए तो इससे गॉलब्लैडर में कैंसर भी हो सकता है।

पित्त में पथरी का बनना एक बहुत ही दर्दनाक रोग है पित्त में कोलेस्ट्रॉल और पिगमेंट नामक दो तरह की बनती हैं इसका संग्रह गॉलब्लेडर में होता है यह भोजन को पचाने में मदद करता है लेकिन जब पेट में कोलेस्ट्रॉल और बिलरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो पथरी निर्माण होता है।

क्यों होता है गॉल ब्लैडर स्टोन – पथरी के होने का अभी तक का कोई खास कारण सिद्ध नहीं हो पाया है यह किसी भी उम्र में हो सकता है कुछ ऐसे फैक्टर्स हैं जो गॉलस्टोन्स की होने की संभावना को बढ़ाते हैं उनके बारे में हम आपको बताते हैं।

  • गर्भधारण
  • मधुमेह या डायबिटीज
  • मोटापा
  • कुछ दवाओं का सेवन से
  • मोटापे की सर्जरी के बाद
  • किसी बीमारी से लंबे समय तक ग्रस्त होने के कारण

इसके अलावा और भी कई कारण होते हैं इनमे कुछ कारण है –

मीठी चीजों के सेवन से – आज के वर्तमान वर्तमान दौर में लोगों को खाने पीने का बहुत अधिक शौख होता है कुछ लोगों की पसंद अलग-अलग होती हैं बहुत सारे लोग मीठा खाना अधिकतर पसंद करते हैं तो यह भी एक कारण होता है जिसके वजह से गॉलब्लैडर में स्टोन होता है मीठी चीजों के ज्यादा सेवन से हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल गाढ़ा होता है जिससे गॉलब्लैडर में पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है और इसके साथ साथ ही दिल के रोगों के होने की संभावना होती है मीठी चीजों में रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है इसलिए मीठी चीजों का सेवन बहुत अधिक नहीं करना चाहिए।

प्रोटीन की ज्यादा मात्रा भी होती है खतरनाक – कुछ जीवो और जानवरों में पाए जाने वाले प्रोटीन से कैल्शियम स्टोन और यूरिक एसिड स्टोन होने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि कुछ लोग लोग मांसाहारी होते हैं जो मांस मछली का सेवन करते हैं ,मांस मछली में प्रोटीन के साथ-साथ कैल्शियम की मात्रा भी बहुत अधिक होती है इनका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए यह आपको गॉल ब्लैडर स्टोन या किडनी में पथरी हैं तब तो इन सभी चीजों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए और अगर आपको यह बीमारी नहीं है तब भी अपने गॉलब्लेडर को स्वस्थ रखना है तो इन चीजों का सेवन एक निश्चित मात्रा में करे।

गर्भनिरोधक दवाएँ के सेवन से – आज के परिवेश में लोगों को रहन सहन व्यवस्था भरी होती हैं जिनके कारण अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते और थोड़ी सी परेशानी होने पर दवाई का सेवन करते हैं कुछ महिलाएं गर्भधारण नहीं करने के लिए दवाइयों का उपयोग करते हैं तो गर्भनिरोधक दवाइयों का अधिक मात्रा में उपयोग करने से महिलाओं में गॉलब्लेडर की समस्या बहुतायत में पाई जाती है इसीलिए महिलाओं को गर्भनिरोधक दवाइयों की जगह अन्य प्रकार के गर्भनरोधक उपायों को अपनाना चाहिए यह दवाइयां किडनी और लीवर पर भी बहुत बुरा असर डालती है।

कॉफी के अधिक सेवन से – अगर आप स्वस्थ हैं तो दिन में एक या दो कॉफी पी सकते हैं मगर इनका ज्यादा मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए और क्योकि कॉफी के ज्यादा मात्रा में सेवन करने से गॉलब्लेडर की समस्या हो सकती हैं तो इसलिए जिन लोगों को गॉलब्लेडर में पहले ही पथरी या अन्य किसी प्रकार की समस्या है तो उन्हें कॉफी का सेवन बिलकुल बंद कर देना चाहिए ताकि आप स्वस्थ रहें और किसी प्रकार की समस्या का सामना मत करना पड़े।

सोडा का सेवन करने से – सोडा में फॉस्फोरिक एसिड होता है जो स्टोन के होने के खतरे को और बढ़ाता है पथरी होने पर पेय पदार्थ का सेवन करने की सलाह दी जाती है और पानी का अधिक सेवन करने की सलाह दी जाती है लेकिन कुछ पेय पदार्थ ऐसे होते हैं जो पथरी होने पर नहीं पीना चाहिए तो सोडा सोडा भी एक ऐसा पेय पदार्थ है जो पथरी होने पर आप को नुकसान पहुंचाता है तो पथरी होने पर सोडा का सेवन नहीं करना चाहिए।

पित्ताशय में पथरी होने के लक्षण – कई बार बिना किसी लक्षण के पित्त के थैली में पथरी हो जाती है और कई बार कुछ लक्षण को दर्शाते हुए भी होती है तो कुछ लक्षण जो खास नजर में आते हैं वह उनके बारे में बताते है –

  • पेट में भारीपन
  • बदहजमीपेट फुलाना
  • खट्टी डकार
  • उल्टी
  • एसिडिटी
  • पसीना आना

पित्ताशय में पथरी होने से कैसे बचें – पित्ताशय में होने वाली पथरी से बचने के लिए हमें अपने आहार में बदलाव लाने के साथ-साथ अपने जीवन शैली में बदलाव लाना आवश्यक होता है तो चलिए हम जानते हैं कि पित्ताशय में पथरी होने पर हमें किन-किन चीजों को खाना चाहिए –

1. सुबह खाली पेट में नींबू का रस 50 मि.ली. पीने से लाभ होता है इसका सेवन कम से कम एक सप्ताह करे।
2. चाय, कॉफी तथा शक्कर युक्त पेय और शराब, सिगरेट, हानिकारक है इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
3. ककड़ी और गाजर के रस को 100 मि.ली. की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीने से पित्त की पथरी में बहुत लाभ प्राप्त होता है।
4. एस्कोर्बिक एसिड मतलब विटामिन-सी प्रयोग से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है अर्थात मजबूत बनती है। यह कोलेस्ट्रॉल को पित्त में बदल देता है। इसकी दो से चार गोली रोज खाने पर पथरी में लाभ होता है।
5. अधिक से अधिक मात्रा में हरी सब्जियां और फल का सेवन पित्त पथरी के इलाज में फायदेमंद है ,क्योकि ये प्रोटीन की जरूरत भी पूरी
करते हैं और इनमें कोलेस्ट्रॉल की कम मात्रा में होती है।
6. मसालेदार और तली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए और संतुलित भोजन ही करें।
7. नाशपाती में पाये जाने वाले रासायनिक तत्वों से पित्ताशय के रोग दूर होते हैं इसका अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए यह पित्त की पथरी में फायदेमंद होती है।
8. प्रतिदिन एक चम्मच हल्दी के सेवन करने से पथरी की समस्या दूर होती है।
9. खट्टे फलों का सेवन करना चाहिए क्योकि इनमें मौजूद विटामिन-सी गॉलब्लैडर की पथरी दूर करने के लिए बहुत मददगार साबित होता है।
10. रेशे की अधिकता से युक्त आहार ग्रहण करें यह फलियों, दालों, फलों और सब्जियों, जई और होलवीट उत्पादों जैसे ब्रेड, पास्ता और चावल में पाया जाता है।
11. स्टार्च युक्त कार्बोहाइड्रेट्स की अधिक मात्रा। उदाहरण के लिए ब्रेड, चावल, दालें, पास्ता, आलू, चपाती और प्लान्टेन (केले जैसा आहार)। जब सम्भव हो तब साबुत अनाजों से बनी वस्तुएं लें।
12. कम मात्रा में दूध और डेयरी प्रोडक्ट का सेवन करे कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट लें।

कुछ चीजों को खाने से करनी चाहिए परहेज

तली हुई चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए – तली हुई चीजों को नहीं खाना चाहिए अगर आपको भी तली हुई चीजें खाने का शौक है तो आप इन चीजों को इसे छोड़ दीजिए क्योंकि यह सेहत को नुकसान पहुंचाता ही हैं साथ ही साथ पित्त की पथरी की समस्या को और बढ़ा सकती हैं इसलिए आप ज्यादा से ज्यादा कोशिश करें कि तली हुई चीजों को ना खाएं क्योकि तली हुई चीजों में वसा सैचुरेटेड वसा होती है आपकीजो आपकी पित्ताशय के दर्द को बढ़ा सकते हैं किस खाद्य सामग्री को तलने के लिए आप जैतून या फिर कैनुला के तेल का उपयोग कर सकते हैं और अंडे में बहुत मात्रा में कोलेस्ट्रोल होता है जो पित्ताशय में पथरी का कारण बनती हैं इसीलिए चिकित्सक भी पित्त की पथरी से बचने के लिए अंडे का सेवन ना करने की सलाह देते हैं।

आजकल लोगों के खानपान का तरीका बदल गया है लोग हड़बड़ी की वजह से फास्ट फूड का सेवन अधिक करने लगे हैं क्योंकि इसे बनाने में कम समय लगता है फास्ट फूड का उपयोग अधिक मात्रा में करने लगे हैं क्योंकि यह खाने में अच्छे लगते हैं लेकिन इसका स्वाद हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है अंतर तौर पर फास्ट फूड में मौजूद ट्रांस फैटी एसिड पित्त की पथरी को लक्षण को बढ़ाते हैं तो आपको कुकीज डोनट्स और मिठाई इन सभी खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।

  • अगर आप भी मांस मछली खाने के शौकीन है तो यह बात आपको थोड़ी नाराज कर सकती है क्योंकि मांस मछली, सूअर चिकन आदि का सेवन पित्त की पथरी में नहीं करना चाहिए या एक बहुत ही महत्वपूर्ण परहेज है।
  • परिष्कृत आटा पास्ता, सफेद चावल परिष्कृत चीनी यह सभी चीजें फैट का रूप ले लेती है हैं और जो पित्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में वृद्धि कर सकती हैं तो की पित्त की पथरी होने पर आपको इन सभी चीजों से दूरी बनाए रखनी चाहिए।
  • खाद्य पदार्थ जो अम्लीय होते हैं जैसे कि खट्टे फल ,टमाटर सॉस और कॉफी यह सारी चीजें पेट में जलन पैदा कर सकते हैं और पित्त की पथरी हो सकती हैं तो इन अम्लीय चीजों को हमें नहीं खाना चाहिए ताकि पित्त की पथरी होने से बचा जा सके।

व्यायाम और योग – आज के दौर में प्रायः लोग योग और व्यायाम करते हैं पथरी की समस्या से बचने के लिए हम आज आपको बताने वाले हैं की किन-किन योग या व्यायाम को करने से आपको‌ पित्ताशय की पथरी की समस्या से बचाव में मदद करेंगे –

  • धनुरासन
  • शलभासन
  • भुजंगासन
  • सर्वांगासन

पथरी के ऑपरेशन के बाद कौन-कौन सी बातों पर देना चाहिए ध्यान

ऑपरेशन या सर्जरी से 5 घंटे पहले कुछ पीने की अनुमति नहीँ होती ऑपरेशन के 1 दिन बाद पानी पी सकते हैं आपको चाय कॉफी कार्बोनेट पर इन चीजों का सेवन नहीं करना होता है कुछ दिनों तक।

आहार पर तीन दिनों से पानी पर ग्रेटेड पॉरेज, मैश किए हुए आलू, कम वसा वाले योग, कम वसा वाले कॉटेज पनीर, बेक्ड ग्राउंड ग्रेटिड सेब के रूप में उबले हुए सब्जियां शामिल हैं। पांचवे दिन, आप बिना किसी मांस के शोरबा में जर्दी, मैश किए हुए सूप के बिना उबले हुए आमलेट को खाना शुरु कर सकते हैं, आप उन्हें 100 ग्राम सफेद रोटी क्रूटोंस जोड़ सकते हैं। पहले सप्ताह के अंत तक, उबला हुआ मछली और जमीन के रूप में कम वसा वाले किस्मों का मांस, दूध के साथ तरल अनाज, मैश किए हुए केले की अनुमति है।

इसके अलावा, पित्ताशय की थैली हटाने के बाद, परहेज डेढ़ महीने तक जारी रहता है। इसका मुख्य सिद्धांत यह है कि व्यंजनों को उबला हुआ या उबला जाना चाहिए, छोटे हिस्सों में भोजन, दिन में पांच-छ बार खाने की आवृत्ति। सभी धूम्रपान उत्पादों, मसालेदार उत्पाद, मसालेदार और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों को बाहर रखा गया है।

डेढ़ महीनों के बाद, आप धीरे-धीरे चिकन जर्दी/सप्ताह में एक बार, उबला हुआ सॉसेज, शहद, हल्के पनीर, ताजा खट्टा क्रीम, ताजे फल और जामुन का स्वाद ले सकते हैं। चीनी के बजाय, स्वीटर्स का उपयोग करना बेहतर होता है। इस आहार को तालिका एन 5/हेपेटिक/कहा जाता है और इसे तीन महीने का पालन करने की आवश्यकता होगी। भविष्य में, गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट की अनुमति के साथ, आहार धीरे-धीरे विस्तारित होता है, लेकिन फिर भी मांस, मसालेदार और डिब्बाबंद व्यंजनों को धूम्रपान किया जाता है, मसालेदार उत्पादों को त्याग दिया जाना चाहिए। यकृत के पित्त कार्य को बेहतर बनाने के लिए, सब्जी फाइबर का उपयोग करना आवश्यक होता है। कच्ची सब्जियां और फल, वनस्पति तेल उपयोगी होते हैं। शराब बाहर रखा गया है।

पित्ताशय की पथरी होने पर साइड इफेक्ट –

पित्ताशय की थैली की सर्जरी के बाद पाचन से संबंधित समस्याएं ज्यादा होती हैं इसके अलावा पित्ताशय की पथरी के लक्षण जैसे सर्जरी के बाद कब्ज की परेशानी होती है दस्त होती हैं ,पित्ताशय की थैली हटाने से साइड इफेक्ट हटाने के रूप में कई प्रकार की समस्याएं होती है।

अस्थायी कब्ज – पित्ताशय की थैली की सर्जरी के बाद दवाओं के उपयोग से कब्ज हो जाते हैं ऐसे आहार जो फाइबर से समृद्ध हैं सेम, ब्रान, पूरे अनाज, फल और सब्जियां सब्जियां उनके उपयोग से कब्ज से छुटकारा पाया जा सकता है।

फैटी खाद्य पदार्थों को पचाने में कठिनाई- सर्जरी के पहले महीने में कुछ लोगों को फैटी खाद्य पदार्थों को पचाने में थोड़ा मुश्किल होता है। कम वसा वाले आहार खाने से मदद मिल सकती है।

अस्थायी दस्त- पित्ताशय, डाइजेस्टिव ट्रैक्ट से आने वाले बेकार तत्वों और लीवर से आने वाले बाइल को स्टोर करता है। जब पित्ताशय निकल जाता है तो लीवर से निकलने वाला बाइल सीधे छोटी आंतों में चला जाता है। पित्ताशय के न होने से छोटी आंत में इसके आने से लीवर और उसके बीच की प्रक्रिया में कुछ समय के लिए दिक्कत आती है। जिसकी वजह से कई बार रोगी को डायरिया भी हो जाता है। इसे क्लेसिस्टॉमी सिंड्रोम भी कहा जाता है, जो कि पित्ताशय निकलने के बाद कुछ दिनों तक रहता है।पित्ताशय कारण छोटी हाथ में इसके आने से लीवर और उनके बीच की प्रक्रिया में कुछ समय के लिए परेशानियां आती हैं जिसकी वजह से कई बार मरीज को डायरिया भी हो जाता है इसे वैज्ञानिक भाषा में कृषि टॉमी सिंड्रोम भी कहा जाता है यह समस्या पिता से निकलने के कुछ दिन बाद तक रहता है।

आंतों की चोट- आपके पित्ताशय की थैली सर्जरी के दौरान उपयोग किए जाने वाले यंत्र आपकी आंतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। सर्जरी के दौरान इस जटिलता के जोखिम को कम करने के लिए डॉक्टर उपाय करेंगे। यदि ऐसा होता है तो आपको मतली, उल्टी ,पेट दर्द, और बुखार के होने का अनुभव हो सकता है।

अस्थायी कब्ज – कुछ लोग पित्ताशय की थैली सर्जरी के बाद वे दर्द दवाओं से कब्ज हो जाते हैं। एक आहार जो फाइबर में समृद्ध हैं- सेम, ब्रान, पूरे अनाज, फल और सब्जियां रोकथाम और कब्ज से छुटकारा पाने में मदद कर सकते हैं।

पित्त नली में पथरी – कुछ मामलों में, पित्ताशय की थैली सर्जरी के बाद आपके सामान्य पित्त नलिका में पत्थर बने रहेंगे। यह आपकी छोटी आंत में पित्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप सर्जरी के तुरन्त बाद दर्द, बुखार, मतली, उल्टी, सूजन, और पीलिया हो सकता है। आपको अपने सामान्य पित्त नलिका में बनाए गए गैल्स्टोन को हटाने के लिए एक अतिरिक्त प्रक्रिया की आवश्यकता हो सकती है।

इसके अलावा गॉल ब्लाडैर स्टोन होने के साइड इफेक्ट के कारण दूसरे बीमारी के होने का संकेत होता है

1. पेनक्रियाटाइटिस जैसी जानलेवा स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

2. इससे संक्रमण, मवाद बनने और गॉल ब्लैडर में छेद होने के कारण पेरिटनाइटिस (पेट की झिल्ली का रोग) भी सकता है।

3. गॉल ब्लैडर में कैंसर हो सकता है। इस स्टोन से पीड़ित मरीजों के 6 से 18 प्रतिशत मामलों में आजीवन कैंसर पनपने का खतरा रहता है जो खासतौर पर उत्तर भारत में ज्यादा देखे गए हैं।

4. बड़ी पथरियों से पीड़ित मरीजों में कैंसर विकसित होने की आंशका ज्यादा रहती है जबकि छोटी पथरियों से पीड़ितों में पीलिया या पेनक्रियाटाइटिस के मामले ज्यादा होते हैं।

5. पित्ताशय में पथरी होने से पीलिया और गंभीर सर्जिकल स्थिति भी उभर सकती है।

पित्ताशय की पथरी के लिए घरेलू उपचार

आमतौर पर अधिकांश लोग किसी बीमारी के होने पर या शरीर में कोई समस्या होने पर उनकी पहली कोशिश ही होती है कि घरेलू उपचार के द्वारा इस बीमारी को ठीक किया जा सके ताकि किसी प्रकार के सर्जरी ऑपरेशन से बचा जा सके तो हम आपको बताने वाले हैं आज पथरी पित्ताशय की पथरी के लिए घरेलू उपचार।

पित्ताशय की पथरी के लिए घरेलू उपचार – आमतौर पर अधिकांश लोग किसी बीमारी के होने पर या शरीर में कोई समस्या होने पर उनकी पहली कोशिश ही होती है कि घरेलू उपचार के द्वारा इस बीमारी को ठीक किया जा सके ताकि किसी प्रकार के सर्जरी ऑपरेशन से बचा जा सके तो हम आपको बताने वाले हैं आज पथरी पित्ताशय की पथरी के लिए घरेलू उपचार।

पित्ताशय की पथरी निकालने में नाशपाती है फायदेमंद – नाशपाती में पेक्टिन नामक यौगिक होता है जो कोलेस्ट्रॉल से बनी पथरी को नरम बना देता है जिससे कि वह शरीर से आसानी से बाहर निकल सके नाशपाती कुछ लक्षणों और पथरी के कारण होने वाले दर्द में आराम दिलाने में बहुत मददगार होता है।

पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद है चुकंदर गाजर और खीरा का रस – पित्ताशय की थैली को मजबूत करने और थैली को साफ करने और लिवर की सफाई के लिए ककड़ी का रस गाजर का रस और चुकंदर के रस को बराबर मात्रा में मिला लें और यह संयोजन खून की सफाई करता है और साथ ही आपके पेट की सफाई में मदद करता है गाजर में विटामिन सी की उच्च मात्रा और खीरे में मौजूद उच्च पानी सामग्री मूत्राशय से विषैले पदार्थों को बाहर निकालती है

पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद है नींबू – नींबू का रस अम्लीय होता है जिसके कारण यह सिरके की तरह कार्य करता है और लीवर में कोलेस्ट्रॉल को बनने से रोकता है प्रतिदिन खाली पेट नींबू का रस सेवन कर ले यह प्रक्रिया 1 हफ्ते तक अपनाएं इससे पथरी की समस्या आसानी से दूर हो सकती है

पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद होता है हल्दी – पित्ताशय की पथरी के लिए घरेलू उपचार में सबसे बेहतरीन उपचार है हल्दी इसमें एंटी ऑक्सीडेंट का गुण होता है हल्दी पथरी को आसानी से तोड़ने मदद करती है ऐसा माना जाता है कि एक चम्मच हल्दी लेने से लगभग 70 से 80 प्रतिशत पथरी खत्म हो जाती है

पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद होता है लाल शिमला मिर्च – शरीर में भरपूर मात्रा में विटामिन-सी पथरी की समस्या कम करता है। एक लाल शिमला मिर्च में लगभग 95 मिलीग्राम विटामिन-सी होता है, यह मात्रा पथरी को रोकने के लिए काफी होती है। इसलिए अपने आहार में शिमला मिर्च को शामिल करें।

पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद होता है विटामिन सी – विटामिन सी के सेवन से शरीर के क्रिस्टल अम्ल में परिवर्तित होते हैं जो की पथरी को तोड़ता है इसलिए आप ऐसे खाद्य पदार्थ खा सकते हैं जिनमें विटामिन सी की मात्रा अधिक हो जैसे कि टमाटर संतरा पथरी में दर्द के निवारण के लिए यह एक उत्तम घरेलू उपाय है।

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