Testosterone boost kaise kare | टेस्टोस्टेरोन की कमी, कारण, लक्षण और इलाज

टेस्टोस्टेरोन क्या है ?

पुरुषों के शरीर में अंडकोष में एक हार्मोन (Hormone) होता है, जिसे टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) कहा जाता है. आमतौर पर इस हार्मोन को ही पौरुष शक्ति के रूप में देखा जाता है. इस हार्मोन का पुरुषों की आक्रामकता, चेहरे के बाल, मांसलता और यौन क्षमता (Sexual Ability) से सीधा संबंध है.

यह लिंग और वृषण को भी बढ़ाने में मदद करता है.. टेस्टोस्टेरोन ही लडको की आवाज का कारण बनता है. पुरुष टेस्टोस्टेरोन बनाना जारी रखते हैं वयस्कों में यह सेक्स ड्राइव को बढ़ा देता है. और शुक्राणु बनाने में मदद करता है..जैसे पुरुषों के अंडाशय में टेस्टोस्टेरोन बनता है. वैसे ही महिलाओं के शरीर में और उनके अंडाशय में भी टेस्टोस्टेरोन बनता है. लेकिन महिलाओं के शरीर में कम मात्रा में टेस्टोस्टेरोन बनता है. और यह महिलाओं के संतुलन हार्मोन को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है.. यह महिलाओं में कई अंगों और शरीर के कार्यों को नियंत्रित करता है..आपके मस्तिष्क में पीयूष ग्रंथि आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा को नियंत्रित करता है.

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ज्यादातर पुरुषों में उम्र से साथ टेस्टोस्टेरोन हार्मोन (Testosterone  Hormone) कम होने लगता है. एक अनुमान के मुताबिक 30 और 40 की उम्र के बाद हर साल टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में गिरावट आने लगती है. वैसे तो इस गिरावट की वजह से सेहत से जुड़ी कोई समस्या नहीं होती है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी की वजह से स्तम्भन दोष, मांसपेशियों की कमजोरी, ऑस्टियोपोरोसिस इत्यादि समस्याएं होने लगती हैं. टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में कमी को हाइपोगोनाडिज्म कहा जाता है. ब्रिटिश पब्लिक हेल्थ सिस्टम का अनुमान है कि करीब 1000 में से 5 लोग टेस्टोस्टेरोन की कमी जैसी शारीरिक समस्या से जूझते हैं.

इसलिए होती है टेस्टोस्टेरोन की कमी :

सीधा संबंध टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी पिट्यूटरी ग्रंथि में रोग, कैंसर के लिए कीमोथेरेपी, रेडिएशन उपचार या फिर किसी आनुवांशिक रोग के कारण हो सकता है. इसके अलावा शरीर में बहुत अधिक आयरन की मात्रा बढ़ने पर भी टेस्टोस्टेरोन की कमी हो सकती है. वहीं ज्यादा तनाव लेने,मोटापा, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, मेटाबॉलिक डिसऑर्डर, किडनी की समस्या, सोते समय सांस ठीक से ना ले पाना. सिरोसिस, किडनी संबंधित रोग, शराब की लत आदि कारणों से भी टेस्टोस्टेरोन की कमी होने की आशंका रहती है.

Low Testosterone के लक्षण :

पुरुषों के शरीर में बनने वाले सेक्स हार्मोन को टेस्टोस्टेरोन कहा जाता है. ये हार्मोन सेक्स ड्राइव बढ़ाने का काम करता है. टेस्टोस्टेरोन की कमी से शरीर में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं. आइए जानते हैं उन लक्षणों के बारे में जो टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी से दिखाई देते हैं.

बहुत ज्यादा थकान- बहुत ज्यादा थकान लगना टेस्टोस्टेरोन कम होने का प्रमुख लक्षण है. इस हार्मोन की कमी से ऐसा लगता है जैसे कि बॉडी में बिल्कुल भी एनर्जी नहीं बची है. हालांकि, ये उम्र बढ़ने और डिप्रेशन का भी एक लक्षण हो सकता है.

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सेक्स लाइफ में बदलाव – टेस्टोस्टेरोन की कमी से आपकी सेक्स ड्राइव में भी कमी आ सकती है. इससे इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या भी हो सकती है. फ्री इजेकुलेट की समस्या भी हो सकती है .

यादाश्त पर असर- टेस्टोस्टेरोन की कमी का असर आपकी यादाश्त पर भी पड़ सकता है. आपको एक जगह ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत हो सकती है. ये लक्षण तभी महसूस होता है जब टेस्टोस्टेरोन का स्तर बहुत ज्यादा कम हो गया हो. इसके अलावा आपको डिप्रेशन भी महसूस हो सकता है,

मूड में बदलाव- टेस्टोस्टेरोन का स्तर आपके मूड पर भी असर डालता है. आप अक्सर उदास सा निराश महसूस करने लगते हैं और कुछ भी अच्छा नहीं लगता है. इसकी वजह से कुछ पुरुषों के व्यक्तित्व में भी बदलाव आने लगता है.

मांसपेशियों में बदलाव- टेस्टोस्टेरोन मांसपेशियां बनाने में भी मदद करता है. ऐसे में इसकी कमी होने पर मांसपेशियों में बदलाव साफ तौर पर देखा जा सकता है. टेस्टोस्टेरोन की कमी से मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं.

ज्यादा बॉडी फैट- टेस्टोस्टेरोन की कमी का असर आपके बॉडी फैट पर भी पड़ सकता है.

शरीर के बालों पर असर- कम टेस्टोस्टेरोन से चेहरे, बाहों और पैरों के निचले हिस्से के बालों में कमी आने लगती है. आमतौर पर सिर के बालों पर इसका असर नहीं होता,

हड्डियों का कमजोर होना- टेस्टोस्टेरोन का कम स्तर हड्डियों को भी कमजोर कर सकता है. इसकी वजह से ऑस्टियोपोरोसिस नाम की बीमारी सकती है ,

सोने में दिक्कत- टेस्टोस्टेरोन की कमी से आपको सोने में भी दिक्कत हो सकती है. आपको इन्सोमनिया या फिर रात में बेचैनी महसूस हो सकती है ,

टेस्टोस्टेरोन टेस्ट कैसे कराये :

टेस्टोस्टेरोन के स्तर को मापने के लिए एक टेस्ट किया जाता है. इस टेस्ट को सुबह के समय 5 से 9 बजे के बिच ही करना ज्यादा अच्छा होता है .इस समय में शरीर में टेस्टोस्टेरोन स्तर उच्च होते हैं. तो कभी-कभी टेस्टोस्टेरोन को मापने के लिए दोबारा टेस्ट करने की आवश्यकता हो सकती है. टेस्ट कराने से पहले आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और आपको टेस्टोस्टेरोन को प्रभावित करने वाली चीजें और दवाइयों को बंद करना चाहिए जिससे आपके टेस्टोस्टेरोन में वृद्धि होती है. कुछ दवाएं जो कृत्रिम रूप से आपके टेस्टोस्टेरोन स्तरों में वृद्धि कर सकती.जैसे बार्बीचुरेट्स,आक्षेपरोधी,स्टेरॉयड (लेकिन टी स्तर उन्हें रोकने के बाद तेजी से गिर सकता है.),एण्ड्रोजन या एस्ट्रोजन उपचार आदि. आपके लक्षणों के आधार पर आपका डॉक्टर भी आपका शारीरिक टेस्ट भी कर सकता है. यदि आप पुरुष हैं.तो आपका डॉक्टर शारीरिक रूप से प्रश्न कर सकता है.

टेस्टोस्टेरोन लेवल कितना होना चाहिए ?

टेस्टोस्टेरोन लेवल की जांच करने के लिए खून का नमूना लिया जाता है. सामान्य टेस्टोस्टेरोन रेंज 300 ग्राम प्रति डेसी लिटर से 1000 ग्राम हैं. सामान्य से कम के टेस्टोस्टेरोन के कई कारण हो सकते हैं जैसे अंडकोष में चोट लगना, खानपान में पौष्टिक तत्वों की कमी आदि.

टेस्टोस्टेरोन की कमी हो तो ऐसे रखें दिनचर्या :

टेस्टोस्टेरोन की कमी होने पर अपनी दिनचर्या में तत्काल सुधार करना चाहिए. ज्यादा मानसिक तनाव नहीं लेना चाहिए. इसके कारण शरीर के मेटाबॉलिज्म में ज्यादा-उतार चढ़ाव हो सकते है जिस कारण थकान महसूस हो सकती है. इसके अलावा नियमित 40 मिनट तक व्यायाम जरूर करना चाहिए. शरीर में गैर जरूरी वसा को कम करके भी टेस्टोस्टेरोन के कम होने की गति को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है. खानपान का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए. अपनी डाइट में ज्यादा ट्रांस फैट वाला खाना नहीं लेना चाहिए

टेस्टोस्टेरोन की कमी का इलाज :


टेस्टोस्टेरोन के कम स्तर को एलोपैथी में टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी द्वारा सही किया जाता है. यह मानव निर्मित टेस्टोस्टेरोन है. यह डॉक्टर द्वारा निर्देशित किए जाने पर है जेल, पंच, इंजेक्शन के रूप में या प्रत्यारोपण से दिया जा सकता है.
इसके अलावा वजन को कम करें, एक्सरसाइज करें, जींक चीजों को आहार खाएं, विटामिन डी की कमी दूर करें, तनाव ना लें, चीनी कम खाएं और जीवन शैली में जरूरी परिवर्तन लाएं. इसके लिए आयुर्वेदिक इलाज काफी प्रभावी है इसलिए आप आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह लें.

1 .अश्वगंधा का सेवन करें
अश्वगंधा में एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और हार्मोन को संतुलित करने वाले गुण मौजूद होते हैं. जो कई बीमारियों को रोककर और इसका इलाज कर सकते हैं. अश्वगंधा को एंटी एजिंग, जोड़ों के दर्द, अनिद्रा और इम्यूनिटी को बूस्ट करने का औषधि माना जाता है. आयुर्वेदिक टॉनिक के रूप में हजारों वर्षों से अश्वगंधा का उपयोग किया जाता है. अश्वगंधा को ताकत बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है. यदि आप टेस्टोस्टेरोन बढ़ाना चाहते हैं तो आप अश्वगंधा का सेवन कर बढ़ा सकते हैं.

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2 . शिलाजीत का सेवन करें
शिलाजीत को दुनिया के सबसे अद्वितीय औषधियों में से एक माना जाता है. शिलाजीत की एंटीऑक्सीडेंट गुण सेल्यूलर डैमेज के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है. यह सेल्यूलर डैमेज आपके दिल, फेफड़ों, लीवर और त्वचा में बुढ़ापे की प्रक्रिया को गति देने का काम करता है. शिलाजीत में मौजूद फुलविक एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स और खनिजों को सीधे उन कोशिकाओं तक पहुंचाता है. जहां उनकी जरूरत होती है. शिलाजीत में पाए जाने वाला जींक, फुलविक एसिड और मैग्नीशियम उच्च शिलाजीत टेस्टोस्टेरोन की कमी को पूरा करने के लिए एक दवा के रूप में अच्छा काम करता है. शिलाजीत के सेवन से शरीर की ऊर्जा के स्तर में बढ़ोतरी होती है और ब्लड शुगर के स्तर को भी संतुलित करने में मददगार होता है.

3 .तुलसी-
आयुर्वेद के अनुसार तुलसी कई रोगों को दूर करने के लिए हजारों वर्षों से उपयोग किया जाता है. तुलसी को एक औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. जब स्वास्थ्य की बात आती है तो पवित्र तुलसी तनाव, रक्त शर्करा और शरीर की संरचना पर सकारात्मक प्रभाव डालता है. इसका टेस्टोस्टेरोन बूस्टर के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. इसके लिए तुलसी के बीजों का सेवन करना फायदेमंद होता है.

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4 .डाइट में शामिल करें प्रोटीन और कार्ब्स-
प्रोटीन के अलावा कार्बोहाइड्रेट और वसा टेस्टोस्टेरोन के स्तर के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा में खाने से टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बनाए रखने में मदद मिलती है और वजन भी कम करने में मदद मिलती है. दूसरी ओर कार्बोहाइड्रेट बॉडी ट्रेनिंग और एक्सरसाइज के दौरान ताकत को बनाए रखने के लिए भी जरूरी होता है. टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाने के लिए आप एवोकाडो, नट्स, डार्क चॉकलेट, ऑर्गेनिक जैतून का तेल, ऑर्गेनिक नारियल का तेल, अंडे की जर्दी और ऑर्गेनिक मक्खन और पनीर आदि का सेवन करें.
नोट- टेस्टोस्टेरोन के उपचार के कुछ रिस्क भी हैं. यह व्यक्ति में लाल रक्त कोशिकाओं के साथ-साथ स्तनों को भी बढ़ा सकता है. यह प्रोस्टेट ग्रोथ भी बढ़ा सकता है. स्तन कैंसर वाले पुरुषों को टेस्टोस्टेरोन थेरेपी से बचना चाहिए.

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