सत्तू से आप सभी परिचित होंगे। भूने हुए चने या जौ का सत्तू सत्तू का शरबत चाहे मीठा हो या नमकीन, टेस्टी तो होता ही है यह तेज गर्मी में भी पेट को ठंडक देता है एनर्जी बूस्टर होने के चलते इसे देसी हॉरलिक्स कहा जाता है। सैकड़ों सालों से बिहार, पंजाब, मध्यप्रदेश, यूपी और पश्चिम बंगाल में सत्तू का सेवन किया जाता रहा है। आज कोल्डड्रिंक युग में भी सत्तू का महत्व कम नहीं हुआ है। आज सूपरफूड सत्तू के फायदे जानते हैं।
सुबह सत्तू पिएं, दिन में खाएं
गर्मियों के दिन हैं। सड़क किनारे ठेले पर सत्तू के शरबत मिल जाएंगे। घर पर इसे आसानी से तैयार किया जाता है। डाइटीशियन डॉ. विजयश्री प्रसाद बताती हैं कि सुबह खाली पेट सत्तू पीना सबसे फायदेमंद होता है। पहला कारण यह है कि इससे ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है। सत्तू में फाइबर, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट्स भी भरपूर होते हैं। इनसे ब्लड शुगर को रेगुलेट करने में मदद मिलती है। इसमें कैल्शियम और मैग्नीशियम की भी मात्रा अधिक होती है। आयरन भी भरपूर है इसलिए जिन्हें खून की कमी है उन्हें सत्तू पीना चाहिए।
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. बताते हैं कि सत्तू को समर ड्रिंक भी कहा गया है सुबह खाली पेट पीने से पेट ठंडा रहता है। खासकर यदि गर्मियों में आप बाहर निकलते हैं तो सत्तू लू से बचाता है। इससे डाइजेशन भी सही रहता है। कई लोग दिन में इसे आटे की तरह गूंथ कर चटनी के साथ खाते हैं। इससे शरीर को एनर्जी मिलती है। पेट भरा रहने का अहसास होता है। गर्मियों में डिहाइड्रेशन की समस्या अधिक होती है। उल्टी, थकान, मतली जैसी चीजें देखने को मिलती हैं। सत्तू पीने से इससे निजात मिलती है।
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क्या रात में सत्तू पीना या खाना चाहिए?
सत्तू में हाई प्रोटीन होता है। इसमें और भी कई न्यूट्रिएंट्स होते हैं। कई बार अनजाने में लोग रात में भी सत्तू का शरबत पी लेते हैं या सत्तू खा लेते हैं। आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. के अनुसार, सत्तू की तासीर ठंडी होती है इसलिए रात में सत्तू नहीं पीना या खाना चाहिए। इससे अपच होती है। पेट में एसिडिटी बनने लगती है। सुबह सिर दर्द और जुकाम भी हो सकता है।
अधिक मात्रा में सत्तू पीने से क्या होगा?
सत्तू अधिक मात्रा में पीने से डायरिया होने का रिस्क रहता है। ब्लोटिंग और पेट में गैस भी ज्यादा बनने लगता है। सत्तू में सोडियम की मात्रा भी अधिक होती है। हाई ब्लड प्रेशर वालों को सत्तू कम मात्रा में लेना चाहिए। जिन्हें डायबटीज है उन्हें भी सत्तू का सेवन करने में सावधानी बरतनी चाहिए।
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ग्लूटन अधिक होने से आंतों को नुकसान चना या जौ को भून कर सत्तू पाउडर बनाया जाता है। लेकिन यह ग्लूटन फ्री नहीं होता। ग्लूटन एक तरह का प्रोटीन है जो गेहूं, जी, राई में पाया जाता है। जो लोग ग्लूटन सेंसेटिव होते हैं या जिन्हें सेलिएक बीमारी होती है उन्हें सत्तू खाने से परहेज करना चाहिए।
कितने तरह के सत्तू खाए जा सकते हैं?
चने का सत्तू ही नहीं, गेहू, बार्ली और जौ का भी सत्तू आसानी से बाजार में मिल जाता है। बिहार, झारखंड और यूपी में चने का सत्तू ज्यादा खाया जाता है जबकि पंजाब में बाल और जौ का सत्तू खाया जाता है। सभी तरह के सत्तू में प्रोटीन और फाइबर की अधिक मात्रा होती है। पंजाब में जी के सत्तू को पानी में घोलकर, उसमें नींबू का रस मिलाकर लिया जाता है।
सत्तू पीने के क्या हैं फायदे
आंखों को मिलती है राहत: गर्मियों में आखों में जलन, आंखें लाल होने, इचिंग, ड्राईनेस की शिकायत होती है। सत्तू को भरपूर मात्रा होती है। पानी में घोल कर पीने से इन तकलीफों से राहत मिलती है।
गले को आराम: जिन्हें गले में खराश, गले के भीतर दाने होने और कुछ भी निगलने में तकलीफ हो, उन्हें सत्तू का शरबत पीना चाहिए।
एनर्जी बूस्टर: इससे कमजोरी दूर होती है। गर्मी में थकान दूर होती है। इंस्टेंट एनर्जी के लिए सबसे बेहतर देसी ड्रिंक है। ट्रैवलिंग करते समय सत्तू का शरबत पीने से पेट भरा रहता है।
शरीर को ठंडा रखता है: गर्मियों में शरीर का टेंपरेचर अधिक होने लगता है। सत्तू पीने से शरीर ओवरहीट नहीं होता। इससे पेट ठीक रहता है और पाचन क्रिया भी बेहतर होती है।
वजन कम करता है: यदि आप वजन कम करना चाहते हैं तो रोज खाली पेट सत्तू पिएं। इससे ब्लोटिंग कम होती है और मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है। कैलोरी ठीक से बर्न होती है।
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