पुरुषों में हर्निया के लक्षण क्या है? जानें कैसे करें इसका इलाज

पुरुषों में हर्निया के लक्षण क्या है? इस पोस्ट में आज हम पेट से जुड़े एक बार के बारे में बात करने वाले है जिसका नाम है हर्निया (Hernia) में पीड़ित व्यक्ति का मांसपेशिया कमजोर हो जाती है और व्यक्ति का आंते खराब हो जाती है। अधिकतर केस में देखे तो यह समस्या जांघ के ऊपरी हिस्से, नाभि और कमर के आस पास होता है। ये समस्या महिला और पुरष दोनों में होता है।

हर्निया अधिकतर पुरुषो में होता है, हम बात करेंगे इस बीमारी कैसे होता है और बीमारी से कैसे हम छुटकारा पा सकते है। जिसके में यह प्रॉब्लम होता है उनका कमर में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है साथ – साथ रक्त प्रवाह में ब्लॉक होने का चांसेस ज्यादा होता है इसमें पेट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है और इसी कमजोरी के वजह से आंते बहार आ जाती है।

पुरुषों में हर्निया के लक्षण क्या है? जानें कैसे करें इसका इलाज

क्यों होती है हर्निया

ये प्रॉब्लम अधिकतर जांचो में पता चला है की जिन लोगो में अधिक वजह उठाने, ऑपरेशन अथवा किसी गंभीर चोट के वजह से गनिया होती है ये समस्या गर्भवती महिलावों के साथ लम्बे समय तक कब या फिर खांसी के समस्य से ग्रसित लोगो को भी हर्निया होती है। जब एक से अधिक वजन उठाने, ऑपरेशन अथवा किसी गंभीर चोट के वजह से गनिया होती है।

हर्निया का उपचार

इसमें छोटा सा चीरा लगाया जाता है दिल के मरीजों को चिकित्सक लोकल सर्जरी की सलाह देते हैं वहीं लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में जनरल एनेस्थीसिया देकर लोकल सर्जरी की जाती है हर्निया का उपचार सर्जरी के माध्यम से किया जाता है हर्निया में दो तरह की सर्जरी होती है- पहली ओपन सर्जरी और दूसरी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ओपन सर्जरी में मरीज को 6 महीने का आराम करने के लिए कहा जाता है इसमें व्यक्ति 6 महीने तक कोई भी शारीरिक गतिविधि नहीं कर सकता है।

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हर्निया से बचाव

यदि आप चाहते है की आपको हर्निया ना हो तो सबसे पहले अपने वजन को नियंत्रित करना चाहिए साथ – साथ ज्यादा वसा युक्त खाद्य पदार्थो वाली चीजों के सेवन से बचना चाहिए ज्यादा फायबर और उच्च प्रोटीन वाली खाने से बचे अगर आप ऐसा कर पाते है तो निश्चित रूप से हर्निया से बच सकते है।

हर्निया का ऑपरेशन कैसे होता है?

आज एक समय में हर बीमारी का इलाज होना संभव हो गया है हर्निया का ऑपरेशन दो तरह से होता है ओपन सर्जरी में चार से छह इंच का चीरा लगाकर बाहर की तरफ निकले अंग को भीतर कर जाली लगाते हैं इसमें परेशानी अधिक होती है और लंबा आराम करना पड़ता है लेप्रोस्कोपी में एक छेद एक सेमी और दो छेद आधे-आधे सेमी का करते हैं बाहर निकले अंग को भीतर कर जाली लगाते हैं टाइटेनियम से बनी फिक्सेशन डिवाइस होती है जिसकी मदद से उसे फिक्स करते हैं डबल लेयर की यह जाली प्रोलीन नामक तत्त्व से बनती है।

हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज

आयुर्वेद में बहेड़ा को हर्निया के इलाज में काफी कारगर पाया गया है यह छोटे व शुरुआती हर्निया का काफी प्रभावी आयुर्वेदिक इलाज है अलग – अलग डॉक्टर के मुताबित आयुर्वेद में बहेड़ा त्रिफला का एक अंग होता है आप बहेड़ा का छिलका उतार लीजिए और उसका पाउडर बना लीजिए अब इस पाउडर को जामुन के सिरके में मिलाकर हर्निया वाली जगह पर 1 से 1.5 घंटे लेप करना है ध्यान रहे कि हर्निया का यह आयुर्वेदिक उपाय बड़े, गंभीर व अम्बिलिकल हर्निया में इस्तेमाल ना करें।

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