बह-सुबह बिस्तर छोड़ना शायद ही किसी को अच्छा लगता हो। लेकिन घर के काम, दफ्तर और स्कूल-कॉलेज के लिए नींद से उठने का वक्त नियमित रहता है। ऐसे लोग अपने आप तय वक्त पर उठ जाते हैं। लेकिन दिक्कत उन्हें होती है जिनका सोने और उठने का कोई निश्चित टाइम नहीं होता है। ऐसे में लोग अलार्म लगाकर सोते हैं। आजकल लगभग सभी लोगों की नींद अलार्म से ही खुलती है। लेकिन क्या आपको पता है कि सुबह-सुबह अलार्म का टोन सुनना लंबे समय में सेहत को बिगाड़ सकता है। अलार्म के साथ दिन की शुरुआत का तरीका सही नहीं है। इससे बॉडी और माइंड पर निगेटिव इफेक्ट पड़ता है। साथ ही अलार्म के लिए लोग मोबाइल को तकिए के पास ही रखकर सोते हैं। ऐसा करने से रेडिएशन का खतरा होता है। जो कैंसर का कारण हो सकता है।
![अलार्म टोन की आवाज सेहत के लिए खतरनाक: अचानक जगने पर दिल को लगेगा झटका, नेचर के बनाए अलार्म अपनाएं 2 image 55](https://trickhindi.in/wp-content/uploads/2023/05/image-55-1024x555.jpg)
झटके से उठना सेहत के लिए खतरनाक :
लॉफबोर्फ यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के मुताबिक झटके से उठना माइंड और बॉडी के लिए खतरनाक हो सकता है। जिस तरह से बिस्तर पर जाते ही अचानक से नींद नहीं आती, बल्कि इस प्रॉसेस में वक्त लगता है। बिल्कुल इसी तरह नींद से जगने के लिए भी बॉडी और माइंड को थोड़े समय की जरूरत होती है। लेकिन अलार्म की तेज आवाज नींद में अचानक से खलल डालती है। इससे बॉडी का सिरकाडियन प्रॉसेस बिगड़ा जाता है। सिरकाडियन शरीर का नेचुरल इंडिकेटर है जो हमें बताता है कि कब सोना और जगना है। नींद में अचानक से अलार्म की आवाज सुनने से कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे हॉर्मोन बढ़ जाते हैं। इससे दिल पर दबाव पड़ता है। ऐसा होने से सिर में तेज दर्द भी हो सकता है।
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शुरुआत अच्छी होगी तो दिन भी रहेगा खुशनुमा :
अगर लंबे समय से फोन में अलार्म का एक ही टोन लगा है तो लोगों के उस टोन से चिढ़ सी हो जाती है। सुबह उसके बजते ही नर्म बिस्तर को छोड़ना पड़ता है। ऐसे में दिन की शुरुआत ही चिढ़ने से होती है। जबकी हिप्नोलॉजी यानी नींद के विज्ञान में बताया जाता है कि दिन की शुरुआत जैसी होगी, उसका प्रभाव पूरे दिन बना रहेगा।
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सूरज की रोशनी है सबसे अच्छा अलार्म :
योग और वेलनेस टीचर कोमल कुमारी बताती है कि प्रकृति ने लोगों को जगाने के लिए अपने अलार्म बनाए हैं, जो शरीर और मन की सेहत का ख्याल रखते हुए हमें उठाते हैं। सुबह सूरज की रोशनी, चिड़ियों का चहचहाना, मुर्गे की बांग प्राकृतिक अलार्म हैं। इनमें से सबसे बेहतर से सूरज की रोशनी । बिस्तर इस तरह से लगाएं कि सुबह सूरज की रोशनी सीधे आपके बिस्तर तक आए। इससे नींद आराम से खुलेगी और सुबह आपको खुशी महसूस होगी ।
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अलार्म लगाना ही पड़े तो टोन सावधानी से चुनें :
सूरज की रोशनी के साथ उठना कई लोगों के लिए मुश्किल हो सकता है। ऐसे में अलार्म लगाने की मजबूरी होती है। अलग ऐसा करना पड़े अलार्म टोन सावधानी से चुनें। अपने पसंद का कोई सॉफ्ट सॉन्ग, बांसुरी, वीणा, चिड़ियों का चहचहाना या झरने वगैरह की नेचुरल आवाज लगाएं। तेज म्यूजिक वाला गाना न लगाएं। यह भी ध्यान रखें टोन ऐसी हो, जिसमें आवाज धीरे-धीरे तेज हो। यानी उसकी आवाज शुरुआत में कम हो और धीरे-धीरे बढ़ती जाए।
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बच्चों को प्यार से उठाएं, कुछ देर बिस्तर पर या गोद में ही रखें :
माएं बच्चों को उठाने हुए खास ख्याल रखें। उन्हें प्यार से जगाएं। बच्चे जगने में थोड़ा नखरा करते हैं, यह स्वाभाविक है। जगाने के बाद उन्हें कुछ देर गोद में या बिस्तर पर रहने दें, उन्हें अचानक से रोजमर्रा के काम में न लगाएं। ऐसे में बच्चे चिड़चिड़े हो सकते हैं।
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